वैज्ञानिक उपकरण एवं उनके कार्य

वैज्ञानिक उपकरण एवं उनके कार्य ( Scientific Equipment and Its Functions ) – इस लेख में विभिन्न उपकरणों एवं उनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों की पूरी जानकारी दी गयी है।

  • उपकरण – कार्य
  • अक्युमुलेटर – इसकी सहायता से विद्युत ऊर्जा का संग्रह किया जाता है। ताकि इसे आवश्यकता पड़ने पर काम में लिया जा सके। 
  • एयरोमीटर – इसके प्रयोग से वायु तथा गैस का घनत्व ज्ञात किया जाता है।
  • अल्टीमीटर – इसके प्रयोग से उड़ते हुए वायुयान की ऊँचाई मापी जाती है।
  • आमीटर – इसका प्रयोग विद्युत धारा को मापने के लिए किया जाता है।
  • एनीमोमीटर – इसके प्रयोग से हवा की शक्ति व गति को मापा जाता है।
  • ऑडियोमीटर – इसका प्रयोग करके ध्वनि की तीव्रता मापी जाती है।
  • ऑडियोफोन – इसका उपयोग सुनाने में सहायता के लिए कान में लगा के किया जाता है।
  • बैलेस्टिक गैल्वानोमीटर -इसके द्वारा लघु धरा (माइक्रो एम्पियर) को नापा जाता है।
  • बैरोमीटर – इसके द्वारा वायु दाब को मापा जाता है।
  • कैलीपर्स – इसके द्वारा बेलनाकार बस्तुओं के अंदर तथा बाहर के व्यास नापे जाते हैं। इससे वास्तु की मोटाई भी नापी जाती है।
  • कैलोरीमीटर – यह ऊष्मा की मात्रा ज्ञात करने में काम आता है। यह ताँबे का बना यंत्र होता है।
  • कारबुरेटर – इसका उपयोग अन्तः दहन पेट्रोल इंजनों में होता है। इसके द्वारा पेट्रोल व हवा का मिश्रण बनाया जाता है।
  • कार्डियोग्राम – इस यंत्र के द्वारा ह्रदय गति की जाँच की जाती है। इसे इलेक्ट्रो कार्डियोग्राम भी कहा जाता है।
  • क्रोनोमीटर – यह जलयानों पर लगा होता है। इससे सही समय का पता लगता है।
  • सिनेमाटोग्राफ – इस उपकरण की मदद से छोटी छोटी फिल्म्स का बड़े पर्दे पर प्रोजेक्शन किया जाता है।
  • कम्पास बॉक्स– इसकी मदद से दिशा का ज्ञान किया जाया है।
  • साइक्लोट्रॉन – इसकी सहायता से आवेशित कणों को त्वरित किया जाता है।
  • डेनसिटीमीटर – इसके उपयोग से किसी पदार्थ का घनत्व मापा जाता है।
  • डिक्टाफोन – इसके द्वारा अपनी बात तथा आदेश को दूसरों को सुनाने के लिए रिकॉर्ड किया जाता है।
  • नमनमापी – इसके द्वारा किसी स्थान का नमन कोण मापा जाता है।
  • डायनेमोमीटर – इसका उपयोग इंजन द्वारा उत्पन्न की गयी शक्ति को मापने में किया जाता है।
  • एपीडास्कोप – इसका उपयोग चित्रों का पर्दे पर प्रक्षेपण करने में किया जाता है।
  • फैदोमीटर – इसका उपयोग करके समुद्र की गहराई नापी जाती है।
  • गैल्वेनोमीटर – इसका उपयोग छोटे विद्युत परिपथों में विद्युत धारा की दिशा व मात्रा ज्ञात करने में किया जाता है।
  • गाइगर मूलर काउण्ट – इसकी सहायता से रेडियो एक्टिव विकिरण के स्त्रोत की गणना की जाती है।
  • ग्रेवीमीटर – इसके उपयोग से पानी की सतह पर तेल की उपस्थिति ज्ञात की जाती है।
  • गाइरोस्कोप – इस यंत्र की सहायता से घूमती हुयी वस्तुओं की चाल ज्ञात की जाती है।
  • हाइड्रोमीटर – इसके द्वारा द्रवों का आपेक्षिक घनत्व नामा जाता है।
  • हाइड्रोफोन – यह पानी के अंदर ध्वनि की तरंगों की गणना करने के काम आता है।
  • हाइग्रोमीटर – इसकी सहायता से वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता नापी जाती है।
  • स्क्रूगेज – इसके माध्यम से बारीक तारों के व्यास को मापा जाता है।
  • किलोस्कोप – टेलीविजन द्वारा प्राप्त चित्रों को इसी के ऊपर देखा जाता है।
  • कैलिडोस्कोप – इसके द्वारा रेखा गणितीय आकृतियाँ भिन्न भिन्न प्रकार की दिखाई पड़ती हैं।
  • लाइटिंग कंडक्टर – इसका प्रयोग ऊँची इमारतों की बिजली से सुरक्षा के लिए किया जाता है। यह इमारतों के उनके ऊँचे भाग पर लगा दिया जाता है।
  • मेगाफोन – इसके द्वारा ध्वनि को दूर स्थान पर ले जाया जाता है।
  • मैनोमीटर – गैस का दाब ज्ञात करने में इसका उपयोग किया जाता है।
  • माइक्रोमीटर – यह एक प्रकार का पैनमा है। इससे मिलीमीटर के भी हजारवें भाग को नापा जा सकता है।
  • माइक्रोस्कोप – जिन वस्तुओं को आँखों से नहीं देखा जा सकता उन्हें इसके माध्यम से देखा जाता है।
  • माइक्रोटोम – किसी वस्तु को बहुत छोटे छोटे टुकड़ों में काटने के काम आता है।
  • ओडोमीटर – पहिये द्वारा चली गयी दूरी मापने के काम आता है।
  • ओसिलोग्राफ – विद्युत व यांत्रिक कम्पनों को ग्राफ पर चित्रित करने का यंत्र।
  • पेरिस्कोप – पानी के अंदर से पानी के ऊपर का दृश्य देखने में प्रयुक्त यंत्र। इसका प्रयोग पनडुब्बियों में किया जाता है।
  • पायरोमीटर – दूर स्थित वस्तुओं जैसे सूर्य, के ताप को मापने में इसका प्रयोग किया जाता है।
  • फोनोग्राफ – यह ध्वनि लेखन के काम में आने वाला यंत्र है।
  • फोटो टेलीग्राफ – ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर फोटो भेजने वाला यंत्र है।
  • साइटोट्रोन – यह कृत्रिम उपकरण तैयार करने के काम आता है।
  • रडार – यानों की संसूचना, गति व स्थिति जानने के लिए प्रयोग किया जाने वाला यंत्र।
  • रेनगेज – वर्षा को नापने के काम आने वाला यंत्र।
  • रेडियोमीटर – इसका उपयोग विकिरण की माप करने के लिए किया जाता है।
  • रेडियो टेलिस्कोप – इसके माध्यम से दूर स्थित घटना को बेतार प्रणाली से दूसरे स्थान पर देखा जा सकता है।
  • रिफरेक्ट्रोमीटर – इसके माध्यम से पारदर्शी माध्यमों का अपवर्तनांक नापा जाता है।
  • सिस्मोग्राफ – भूकंप का पता लगाने वाला यंत्र।
  • सेफ्टी लैंप – इस लैंप का प्रयोग खानों में किया जाता है। इसकी सहायता से खानों में होने वाले विस्फोट को बचाया जा सकता है।
  • सेक्सटेंट – यह किसी वस्तु (मीनार इत्यादि) की उंचाई नापने के काम आता है।
  • स्ट्रोवोस्कोप -इसकी सहायता से आवर्त गति से घूमने वाली वास्तु की चाल नापी जाती है।
  • स्पीडोमीटर – यह बस, कार आदि की गति को प्रदर्शित करने के लिए लगा होता है।
  • सबमरीन – यह पानी के अंदर चलने वाला जहाज होता है।
  • स्फेरोमीटर – इसके द्वारा गोलीय जल की वक्रता की त्रिज्या मापी जाती है।
  • बिस्कोमीटर – इसके द्वारा द्रवों की श्यानता मापी जाती है।
  • टेली फोटोग्राफी – इसके द्वारा गतिशील वस्तुओं का चित्र दूसरे स्थान पर प्रदर्शित किया जा सकता है।
  • टेलीप्रिंटर – इसकी सहायता से स्वतः ही समाचार टाइप होते हैं।
  • टेलेक्स – इसके माध्यम से दो स्थानों के बीच समाचारों का सीधा आदान-प्रदान होता है।
  • टेलिस्कोप – इसकी सहायता से दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
  • थर्मोस्टेट – इसकी सहायता से किसी वस्तु का ताप एक निश्चित मात्रा तक स्थिर बनाये रखा जा सकता है।
  • थियोडोलाइट – इसके द्वारा अनुप्रस्थ व लंबवत कोणों की माप ज्ञात की जाती है।
  • एक्टिओमीटर – इसके माध्यम से सूर्य किरणों की तीव्रता का मापन किया जाता है।
  • टैकोमीटर – मोटर नाव तथा वायु यानों की गति को मापने का यंत्र।
  • यूडोमीटर – वर्षामापक यंत्र।
  • टेलिस्कोप – दूर स्थित चीजों को देखने की युक्ति।
  • अल्ट्रसोनोस्कोप – ब्रेन ट्यूमर और ह्रदय रोगों का पता लगाने में सहायक यंत्र।
  • वेक्यूम क्लीनर – धूल साफ़ करने की युक्ति।
  • वेंचुरीमीटर – द्रवों के प्रवाह को मापने का यंत्र।
  • एक्स रे मशरीन – मानव शरीर के आतंरिक अंगों के छायांकन के लिए प्रयुक्त युक्ति।

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