खिलजी वंश : जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी

खिलजी वंश (Khalji Dynasty) – जलालुद्दीन खिलजी तीन माह तक क्यूमर्स के संरक्षक व वजीर के रूप में कार्य करता रहा। अंत में जून 1290 ईo में जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने कैकुबाद द्वारा बनवाये किलोखरी महल में 70 वर्ष की अवस्था में अपना राज्याभिषेक करा कर खिलजी वंश की नींव डाली। कुछ समय तक किलोखरी को ही सल्तनत की राजधानी बनाये रखा। इसने अपने भाई और भतीजे ( अलीगुर्शप ) के साथ कई वर्षों तक बलबन की सेवा की थी। इसने मंगोलों के साथ कई लड़ाईयाँ लड़ी थीं। यह बड़ा ही उदार शासक था। इसने बलबन के सिंघासन पर बैठने से इनकार कर दिया क्योंकि यह खुद को उसका सेवक मानता था। इसने कड़ा व मानिकपुर के इक़्तेदार और बलबन के भतीजे किश्ली खान ( मलिक छज्जू ) को पराजित कर बंदी बना लिया। परन्तु बाद में उसे माफ़ कर मुल्तान भेज दिया। इसनें एक बार अपना आपा खो दिया और फ़कीर सीदी मौला का वध करवा दिया।

इसी ने कहा था कि “राज्य को शासितों के स्वैक्षिक समर्थन पर आधारित होना चाहिए।” सुल्तान 20 जुलाई 1996 ईo को गंगा नदी के तट पर कड़ा-मानिकपुर में अपने भतीजे अलाउद्दीन से मिलने जाता है। इसी समय इख्तियारुद्दीन हुद ने अलाउद्दीन के इशारे पर सुल्तान पर तलवार से हमला कर उसकी गर्दन काट दी। यहीं पर अलाउद्दीन खिलजी ने स्वयं को सुल्तान घोषित कर लिया।

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ईo)

कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-20) –

यह दिल्ली का एकमात्र सुल्तान था जिसने स्वयं को खलीफा घोषित किया था। इसनें सुल्तान बनने के दिन ही कैदियों को कारागार से मुक्त कर दिया। इसने अलाउद्दीन खिजली के सभी भूमि व बाजार संबंधी नियमो का अंत कर दिया। बरनी के अनुसार ये कभी दरबार में स्त्रियों के वस्त्र पहन कर आ जाता था। कभी ये नग्न होकर दरबार में दौड़ा करता था। इसने देवगिरि के हरपाल की हत्या कर दी और मलिक यकलखी को देवगिरि का पहला मुस्लिम प्रांतपति बनाया। अंत में खुशरो खां ने अंतिम खिलजी शासक कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी की हत्या कर दी।

नासिरुद्दीन खुशरवशाह (अप्रैल – सितंबर 1320 ईo) –

खुसरो मलिक ( खुसरो खां ) नासिरुद्दीन खुशरवशाह के नाम से अगला सुल्तान बना। मुबारक खिलजी ने इसे खुसरो खां की उपाधि दी थी। यह हिंदू धर्म से परिवर्तित मुसलमान था। इसने खिज्र खां की विधवा देवल देवी से विवाह कर लिया था। इसने निजामुद्दीन औलिया को उपहार व पांच लाख टंका भेजे जिसे औलिया ने स्वीकार कर लिया और इसकी सत्ता को मान्यता दी। बाद में गयासुद्दीन तुगलक ने इसे पराजित कर दिया।

अगला वंश – तुगलक वंश 

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