संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के बारे में पूरी जानकारी – इस लेख में प्रतियोगियों के लिए UPSC से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी का उल्लेख किया गया है। यदि आप भी सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें। इस लेख में संघ लोक सेवा आयोग क्या है ? संघ लोकसेवा आयोग का इतिहास। सिविल सेवा क्या है ? सिविल सेवाओं के लिए शैक्षणिक योग्यता ? सिविल सेवा की तैयारी कैसे करें ? सिविल सेवा की तैयारी के लिए क्या पढ़ें ? सिविल सेवा की तैयारी के लिए क्या न पढ़ें ? सिविल सेवा की तैयारी के लिए कौनसा विषय सही रहेगा ? परीक्षा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें ? UPSC में कितने पेपर होते हैं ? IAS परीक्षा में कितने पेपर होते हैं ? संघ लोकसेवा आयोग कौन-कौन सी परीक्षाएं संपन्न कराता है ? यही वो सवाल हैं जो सभी प्रतियोगियों के मन में आते हैं। अपने इस लेख के माध्यम से हमने इन सभी जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास किया है।
संघ लोक सेवा आयोग का इतिहास –
भारत में सुपीरियर सिविल सर्विसेज के संबंध में लार्ड ली की अध्यक्षता में सन् 1924 में रॉयल कमीशन ने प्रस्तुत की अपनी रिपोर्ट में लोकसेवा आयोग के गठन की सिफारिश की। इसके फलस्वरूप 1 अक्टूबर 1926 को सर रॉस बार्कर की अध्यक्षता में पहले लोकसेवा आयोग का गठन किया गया। इसके बाद भारत शासन अधिनियम 1935 के तहत फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन (FPSC) की स्थापना 1 अप्रैल 1937 ईo को की गयी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद FPSC संघ लोकसेवा आयोग बन गया और 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र होने के बाद इसे संवैधानिक संस्था का दर्जा प्राप्त हुआ।
संविधान में UPSC से संबंधित उपबंध –
UPSC एक संवैधानिक संस्था है क्योंकि इसका गठन संविधान के अनुच्छेदों के आधार पर किया गया है। आयोग से संबंधित उपबंधों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 315 से 323 तक वर्णित किया गया है। अनुच्छेद- 315 के अनुसार संघ और राज्यों हेतु लोक सेवा आयोगों का गठन किया जायेगा। अनुच्छेद – 316 में आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि संबंधी उपबंध दिए गए हैं। अनुच्छेद – 317 में आयोग के किसी सदस्य को हटाए जाना और निलंबित किये जाने का जिक्र है। अनुच्छेद-318 में आयोग के सदस्यों व कर्मचारियों की सेवाओं की शर्तों के बारे में विनिमय बनाने संबंधी उपबंध किया गया है। अनुच्छेद – 320 में आयोग के कृत्य/कार्य को वर्णित किया गया है। अनुच्छेद – 321 में लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति दी गयी है। अनुच्छेद – 322 में लोकसेवा आयोग के व्यय का वर्णन है। अनुच्छेद – 323 में लोकसेवा आयोग के प्रतिवेदन वर्णित हैं।
सिविल सेवा ही क्यों ?
बचपन के स्कूल के दिनों से ही हर बच्चा अपने करियर में कुछ कर गुजरने के लिए तरह तरह के सपने संजोता है। परन्तु धीरे-धीरे जब वह बड़ा होता है उन सभी विकल्पों पर विचार करता है और उनमें से एक बेहतरीन विकल्प की खोज करता है। एक ऐसा विकल्प जिसमें अर्थ, सुविधाएँ, प्रतिष्ठा और देश सेवा के उद्देश्य की प्राप्ति की जा सके। इन सभी के लिए UPSC एक बेहतर विकल्प है। इसके माध्यम से आप IAS, IPS, IRS, IFS इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण पदों पर चयनित होकर अपने सपने पूरे कर सकते हैं। वर्तमान में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा कराई जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा देश ही नहीं विश्व की सर्वोच्च सेवाओं में से एक है। इस परीक्षा की तैयारी से लेकर चयन तक का सफर किसी एडवेंचर से कम नहीं है। यह परीक्षा हमारी सोच, समझ और कार्यान्वयन तीनों की कसौटी सिद्ध करती है।
सिविल सेवा परीक्षा का इतिहास –
सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन पहली बार 1855 ईo में लंदन में कराया गया था। तब इसमें परीक्षार्थियों की निम्नतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 23 वर्ष निर्धारित की गयी थी। प्रारंभ में कई वर्षों तक इसका आयोजन लन्दन में ही हुआ करता था। सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले पहले भारतीय सत्येन्द्रनाथ टैगोर (रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई) थे। इन्होंने यह परीक्षा 1864 ईo में पास की। इसके बाद सुभास चंद्र बोस ने IAS की परीक्षा 1920 ईo में चौथी रैंक से पास की।
UPSC कौन कौन सी परीक्षाएं संपन्न कराता है –
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिर्फ सिविल सेवाओं की ही परीक्षा नहीं कराता। इसके अतिरिक्त अन्य परीक्षाओं को भी संपन्न कराता है जो कि निम्नलिखित हैं :-
- भारतीय वन सेवा परीक्षा
- इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा
- सम्मिलित चिकित्सा सेवा परीक्षा
- भू-विज्ञानी परीक्षा
- सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा
- राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा
- स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस परीक्षा (SCRA)
- भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा (ISS) इत्यादि
सिविल सेवाओं के लिए शैक्षणिक योग्यता व अन्य अहर्ताएं –
इन सेवाओं के लिए प्रतियोगी को विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय से स्नातक होना अनिवार्य है। साथ ही वह भारत का नागरिक हो। इस परीक्षा के लिए किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक मापदंड तय नहीं किया गया है। इन परीक्षाओं में आपकी मानसिक योग्यता ही एकमात्र चयन का मापदंड है। इसके लिए सामान्य वर्ग के प्रतियोगियों की आयु सीमा 21-32 वर्ष निर्धारित की गयी है। साथ ही OBC के प्रतियोगियों को अधिकतम आयु सीमा में 03 वर्ष की और SC, ST को 05 वर्ष की छूट दी गयी है।
परीक्षा का प्रारूप –
यह परीक्षा तीन चरणों में विभाजित है। सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन होता है। इसमें सामान्य अध्ययन के 200-200 अंकों के दो पेपर होते हैं और इसके प्रश्नों का स्वरूप वैकल्पिक होता है। सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 को सीसैट कहते हैं। इसमें कम से कम 33% अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। सामान्य इसमें उत्तीर्ण प्रतियोगियों को मुख्य परीक्षा के लिए आमंत्रित किया जाता है। मुख्य परीक्षा में चयनित प्रतियोगियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। वर्तमान में साक्षात्कार के लिए कुल 275 अंक निर्धारित किये गए हैं। प्रतियोगी के फ़ाइनल चयन के लिए मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के अंकों को जोड़कर मेरिट बनाई जाती है। उसी आधार पर अन्तिम चयन होता है। याद रहे इस चयन में प्रारंभिक परीक्षा के अंकों को सम्मिलित नहीं किया जाता है। अर्थात प्रारंभिक परीक्षा का आपकी फ़ाइनल मेरिट में कोई योगदान नहीं है। परन्तु सिविल सेवा में आने के लिए सबसे पहली कड़ी प्रारंभिक परीक्षा ही है और उसे पास करना अनिवार्य है।
IAS Mains Exam में कितने पेपर होते हैं –
IAS की मुख्य परीक्षा में कितने पेपर होते हैं ? इंटरनेट पर यह बहुत सर्च किया जाता है। IAS की मुख्य परीक्षा में कुल 09 पेपर होते हैं। इनके लिए अधिकतम अंक 1750 निर्धारित किये गए हैं। परंतु अंतिम मैरिट हेतु सात पेपर ही गिने जाते हैं। बाकी दो पेपर में सिर्फ न्यूनतम अंक लाना ही अनिवार्य होता है। IAS की मुख्य परीक्षा दो पालियों में संपन्न कराई जाती है।
- पेपर-1 निबंध
- पेपर-2 सामान्य अध्ययन – 1
- पेपर-3 सामान्य अध्ययन – 2
- पेपर-4 सामान्य अध्ययन – 3
- पेपर-5 सामान्य अध्ययन – 4
- पेपर-6 भारतीय भाषा (कुल 23 भाषाओं में से कोई एक)
- पेपर-7 अंग्रेजी
- पेपर-8 वैकल्पिक विषय – प्रथम प्रश्नपत्र
- पेपर-9 वैकल्पिक विषय – द्वितीय प्रश्नपत्र
फ़ाइनल मैरिट –
सिविल सेवा परीक्षा की फाइनल मैरिट मुख्य परीक्षा (1750 अंक) और साक्षात्कार (275 अंक) में प्राप्त अंकों को मिलाकर तैयार की जाती है। इसमें मुख्य परीक्षा के अंको का कोई औचित्य नहीं।
सिविल सेवा की तैयारी के लिए कौनसा विषय सही रहेगा –
UPSC के नियमानुसार मुख्य परीक्षा में आपको एक विषय चुनना पड़ता है। जरुरी नहीं कि वह विषय आपने स्नातक में पढ़ा हो। यह भी जरुरी नहीं की उसी विषय से आपकी स्नातक डिग्री हो। यहाँ पर ज्यादातर लोग आपको आपके इंटरेस्ट वाले विषय को लेने की सलाह देते हैं जो कि काफी हद तक ठीक भी है। परन्तु इसके साथ कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें भी ध्यान रखनी जरुरी हैं। जैसे – उस विषय का आपको ज्ञान, उस विषय में आपकी पकड़, विषय की अध्ययन सामग्री की उपलब्धता, उस विषय का मार्गदर्शन, उस विषय को पढ़ने की आपकी क्षमता इत्यादि। किसी विषय की चार किताबें पढ़ लेना मात्र ही अपना इंटरेस्ट न समझें। इस बात का ध्यान रखें कि इस परीक्षा में किसी भी विषय का दायरा उतना संकीर्ण नहीं है जितना हम पढ़ चुके हैं और न ही उतना विस्तृत कि हम पढ़ न सकें।
परीक्षा की तैयारी कब शुरू करें :-
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे जरुरी है इसके लिए दृढ निश्चय करना कि हमें इसी क्षेत्र में करियर बनाना है। इसके लिए आप इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ग्रेजुएशन के दौरान तैयारी में जुट सकते हैं। सिविल सेवा परीक्षा के लिए यही सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है। क्योकि इस समय हमें सभी विषयों की बेसिक जानकारी ध्यान में होती है। सामान्य तौर पर इसकी तैयारी में दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है। इसकी तैयारी में कितना समय लगेगा यह आपकी अब तक की शिक्षा पर निर्भर करता है। अक्सर हमें सुनने को मिलता है कि उसने पहले प्रयास में ही यह परीक्षा पास कर ली। ध्यान रखें पहले प्रयास का मतलब पहले साल की तैयारी या एक साल में तैयार हो जाना कभी नहीं होता। यह उन अभ्यर्थियों की अब तक की शिक्षा और अध्ययन का ही परिणाम होता है जो उन्होंने बचपन से अब तक किया होता है। इसके साथ ही सबकी मानसिक योग्यता भी समान नहीं होती जिसके कारण किसी को कम समय लगता है तो किसी को अधिक।
सिविल सेवा की तैयारी में क्या न पढ़ें –
इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए क्या पढ़ने से ज्यादा महत्वपूर्ण है क्या नहीं पढ़ना है। आज के समय में विश्व भर में असंख्य पुस्तकों का अस्तित्व है और वे सभी किसी न किसी तरह से आपके ज्ञान को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाती हैं। आज के दौर में तरह तरह की ऑनलाइन व ऑफलाइन, सॉफ्ट व हार्ड कॉपी पाना और भी आसान हो गया है। इससे एक ओर जहाँ हमारी सामरिक सोंच का दायरा बढ़ा है वहीं तरह तरह की भ्रांतियों को भी जन्म दिया है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि प्रसिद्ध लेखकों और प्रकाशकों की पुस्तकों को ही वरीयता दें। हम सब जानते हैं कि 10 फर्जी पुस्तकों को एक बार पढ़ने से बेहतर है कि एक प्रामाणिक पुस्तक को 10 बार पढ़ा जाये। क्योंकि एक बार पढ़ी हुयी पुस्तक बस आपका मनोरंजन कर सकती है, आपको किसी परीक्षा में लाभ नहीं पहुंचा सकती। वैसे तो हर तरह का ज्ञान जीवन में कभी न कभी काम आ ही जाता है। परन्तु सिविल सेवा के प्रतियोगी को चाहिए कि वह हर क्षेत्र की सटीक जानकारी रखे। याद रहे आपको सिविल परीक्षा निकालनी है ज्ञानी नहीं बनाना है। हर व्यक्ति का किसी विषय में कम और किसी में ज्यादा झुकाव होता है परन्तु किसी एक विषय में हद से ज्यादा घुस जाना अन्य विषयों के लिए नकारात्मक साबित हो सकता है।
समसामायिक घटनाक्रम की तैयारी कैसे करें –
समसामयिकी एक ऐसा टॉपिक है जिसकी तैयारी आप पहले से नहीं कर सकते। इस टॉपिक को छोड़ा भी नहीं जा सकता क्योंकि अब इन परीक्षाओं में इससे काफी प्रश्न पूछे जाने लगे हैं। इसके लिए आपको परीक्षा के पूर्व लगभग एक वर्ष की घटनाओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना होगा। सामाजिक और राजनीतिक विचारकों द्वारा अखवार में प्रकाशित होने वाले लेखों को नियमित रूप से अवश्य पढ़े। यह न केवल आपको राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय परिवेश की जानकारी देगा बल्कि आपके सोचने के नजरिये को भी विस्तृत करेगा। इसके लिए सबसे आसान और सटीक जानकारी उपलब्ध कराते हैं समाचार पत्र और दूरदर्शन का न्यूज बुलिटेन, इस पर नियमित रूप से ध्यान बनाये रखें। इसके अतिरिक्त कुछ प्रमुख पाक्षिक या मासिक पत्रिकाएं भी ले सकते हैं। महत्वपूर्ण इन सबको पढ़ना नहीं बल्कि उसे याद रखना है। इसलिए समसामयिक से संबंधित सभी सामग्री को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसके लिए अलग से एक नोट बनाएं। क्योकि बहुत सी ऐसी घटनाएं होती हैं जो कुछ समय तक ध्यान में रहती हैं परन्तु परीक्षा के वक्त तक वह सब भूल जातें हैं और इतना समय नहीं होता कि वो सब फिर से विस्तृत रूप में पढ़ा जा सके।
सिविल सेवा के लिए अध्ययन सामग्री –
सिविल सेवा परीक्षा के लिए अभ्यर्थी को मानव जीवन के प्रत्येक पहलू की जानकारी होना आवश्यक है। सबसे पहले सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम को डाउनलोड करें और उसी के आधार पर अध्ययन करें। इस परीक्षा के लिए अभ्यर्थी को सभी विषयों की मूलभूत जानकारी होना आवश्यक है। इसके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है NCERT के 12वीं तक की सभी पुस्तकें हैं। इसके बाद किसी भी विषय के अच्छे लेखक की पुस्तक को पढ़ें। इसके बाद एक ही विषय की विभिन्न टॉपिक्स पे लिखी गयी पुस्तकों का अध्ययन करें।
लेखन शैली पर दें विशेष ध्यान –
यदि सिविल सेवा परीक्षा में कामयाब होना चाहते हैं तो इस ओर विशेष ध्यान दें। मुख्य परीक्षा में हमारे ज्ञान के साथ साथ उसे सामने वाले को समझाने की कला को भी परखा जाता है। मुख्य परीक्षा में समय कम होता है और लिखना अधिक इसलिए बहुत से अभ्यर्थी ज्ञान होते हुए भी सटीक जानकारी नहीं दे पाते हैं। इसलिए यदि इस ओर पहले से ध्यान नहीं दिया तो इसका खामियाजा आपको भी भुगतना पड़ सकता है। अपनी लेखन शैली को सुधारने का सबसे अच्छा तरीका है निरंतर अभ्यास करना। इसके लिए आप हर रोज किसी भी टॉपिक पर लिखना शुरू कीजिये। प्रारंभ में थोड़ी समस्या होगी परन्तु आप बस एक पेज लिखने से शुरुवात कीजिये और समयानुसार इसे बढ़ाते जाइये। इससे न सिर्फ आपकी लेखन की गति बढ़ेगी बल्कि अपने बात को सटीक तरीके से रखने की कला भी आपमें आएगी। साथ ही साथ व्याकरण संबंधी कमियां भी दूर होती जाएँगी।
क्या सिविल सेवा की तैयारी के लिए कोचिंग जॉइन करना जरुरी है –
अक्सर यह सवाल अभ्यर्थियों के मन में आता है कि क्या कोचिंग जॉइन करके ही ये परीक्षा पास की जा सकती है। उसके बाद ये कि किसी सामान्य कोचिंग के माध्यम से या किसी नामचीन कोचिंग के सहारे ही हम ये परीक्षा पास कर सकते हैं ? इसके लिए अभ्यर्थियों को बता दें कि कोचिंग का अर्थ दिल्ली जाना या किसी नामचीन कोचिंग की मोटी फीस भरना नहीं है। यहाँ पर कोचिंग से आशय सही मार्गदर्शन और सही रणनीति से है। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसे इस क्षेत्र की जानकारी और अनुभव है तो आप उसका भी मार्गदर्शन ले सकते हैं।
इंटरनेट कितना है कारगर –
आज के दौर में इंटरनेट को किसी भी क्षेत्र की जानकारी प्राप्त करने के लिए सबसे पहले प्रयोग में लाया जाता है। यदि आप देश-दुनिया से खुद को जोड़े रखना चाहते हैं तो ये एक अच्छा प्लेटफार्म हैं। यहाँ पर हम एक क्लिक में ही किसी भी चीज के बारे में अनगिनत जानकारी पा सकते हैं। परन्तु जब बात आती है सिविल सेवाओं में इसके उपयोग की तो आप इसका सहारा ले सकते हैं। परन्तु आज कल इंटरनेट पर पायी जाने वाली जानकारी की प्रमाणिकता पर संदेह रहने लगा है। कई बार इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी प्रमाणिकता से कोसों दूर और अत्यधिक भ्रामक होती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि इसका प्रयोग करें परन्तु उसकी प्रमाणिकता को जाँच लें।
परीक्षा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें –
सबसे पहले तो परीक्षा के दौरान स्ट्रेस बिलकुल न लें। ध्यान रखें कि परीक्षा जीवन का एक अंग है और इसके हर कदम पर हमें इससे सामना करा होगा। खान-पान का रखें विशेष ध्यान – अक्सर लोग अंतिम समय में पढाई में इतना ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं कि खान-पान का ध्यान नहीं रख पाते जिससे कई बार तो बीमार भी पड़ जाते हैं। अन्य समस्याओं को दर किनार कर दें – समस्या सभी की जिंदगी में होती हैं। परन्तु परीक्षा के दौरान हम पूरे साल में अर्जित किये अपने ज्ञान को फिर से अपने माइंड में एकत्रित करते हैं इसके लिए बेहद जरुरी है कि कुछ समय के लिए हम अपनी समस्याओं को माइंड में न लाएं। नींद भी है जरुरी – परीक्षा के दिनों में हम अक्सर देर रात तक जागते रहते हैं इससे भी हमारे मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसका भी ध्यान रखें। नए टॉपिक को न पढ़ें – परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार के किसी नए टॉपिक को न पढ़ें। ऐसा करने से आपका माइंड डिस्टर्ब हो सकता है और पढ़ा हुआ भी भूलने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। परीक्षा से पूर्व किसी भी प्रकार की शंका न रखें- परीक्षा देने से पूर्व पूरे कॉन्फिडेंस और सकारात्मक विचारों के साथ खुद को तैयार रखें। ऐसे समय किसी भी प्रकार की शंका आपके लिए नकारात्मक सिद्ध हो सकती है। टाइम मैनेजमेंट का रखें विशेष ध्यान – परीक्षा के दौरान आपका हर पल कीमती होता है इसलिए व्यर्थ के सवालों पर अपना समय बर्बाद न करें।
संघ लोक सेवा आयोग के वर्तमान सदस्य
नाम | कार्य ग्रहण की तिथि | सेवानिवृत्ति की तिथि |
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अरविन्द सक्सेना (अध्यक्ष) | 29-11-2018 | 07-08-2020 |
प्रदीप कुमार जोशी | 12-05-2015 | 12-05-2021 |
भीमसेन बस्सी | 31-05-2016 | 19-02-2021 |
ए. एस. भोसले | 21-02-2017 | 14-02-2022 |
श्रीमती सुजाता मेहता | 21-02-2017 | 29-03-2022 |
मनोज सोनी | 28-06-2017 | 27-06-2023 |
श्रीमती स्मिता नागराज | 01-12-2017 | 21-09-2023 |
श्रीमती एस. सत्यवती | 09-04-2018 | 12-05-2023 |
भारत भूषण व्यास | 13-12-2018 | 14-11-2022 |
टी. सी. ए. अनंत | 14-01-2019 | 02-01-2023 |
राजीव नयन चौबे | 01-02-2019 | 27-01-2024 |