डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय ( Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography )
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम स्वतन्त्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के रूप में इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक प्रसिद्ध शिक्षक और दर्शनशास्त्री थे। इसी कारण इनके जन्म दिन को प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संक्षिप्त जीवन परिचय ( Biography in Short )
पूरा नाम | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
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जन्म | 5 सितम्बर 1888 |
जन्म स्थान | तिरुमनी गाँव मद्रास ( चेन्नई ) |
पिता | सर्वपल्ली विरास्वामी |
माता | सिताम्मा |
विवाह | 1904 |
पत्नी | सिवाकमु |
शिक्षा | एम.ए. दर्शनशास्त्र ( 1906 ) |
बच्चे | 5 बेटी और 1 बेटा |
उपराष्ट्रपति कार्यकाल | 26 जनवरी 1952 से 12 मई 1962 तक |
राष्ट्रपति कार्यकाल | 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक |
निधन | 17 अप्रैल 1975 ( मद्रास, तमिलनाडु ) |
जन्म व प्रारंभिक जीवन-
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 05 सितंबर 1888 को मद्रास से 40 मील दूर उत्तर-पश्चिम की ओऱ तीरुतनी नामक एक छोटे से कस्बे में हुआ था। इनका प्रारंभिक जीवन तीरुतनी औऱ तीरुवटी में ही व्यतीत हुआ।
शिक्षा और शिक्षक के रूप में-
इनकी शिक्षा ईसाई मिशनरी संस्थाओं में हुई। इन्होंने बीस वर्ष की आय़ु से ही लेखन कार्य प्रारंभ कर दिया था। साल 1908 में ही इनकी पहली पुस्तक ‘एथिक्स ऑफ द् वेदांता’ प्रकाशित हुई। इन्होंने इसे एम. ए. की परीक्षा के दौरान शोध लेख के रूप में लिखा था। साल 1909 में इनकी बहाली एक शिक्षक के रूप में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई। इसके बाद साल 1918 में इन्हें मैसूर विश्वविद्यालय में दर्शन के प्राचार्य का पद मिला। यहाँ पर इन्हें पाश्चात्य दर्शन के अध्ययन का भी मौका मिला। साल 1921 में इन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र का प्रोफेसर नियुक्त किया गया। साल 1926 में इन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से हिंदू जीवन दर्शन पर भाषण देने के लिये निमंत्रण प्राप्त हुआ। इसके बाद तो इन्हें विदेश में तमाम आयोजनों औऱ पदों के लिये निमंत्रण आने प्रारंभ हो गए। इन्हीं दिनों उन्होंने कुछ अन्य प्रमुख व्यक्तियों के सहयोग से इंडियन फिलोसोफिकल कांग्रेस की स्थापना की।
मृत्यु-
इनका निधन 17 अप्रैल 1975 को मद्रास में हो गया।
सम्मान व पुरस्कार-
- इन्हें साल 1931 में नाइटहुड से सम्मानित किया गया।
- इन्हें साल 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- इन्हें साल 1963 में ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
- इन्हें 27 बार नोबेल पुरस्कार (16 बार साहित्य, औऱ 11 बार शांति ) के लिये नामित किया गया।