पंचवर्षीय योजनाएं ( Five Year Plans )

पंचवर्षीय योजनाएं ( Five Year Plans ) – विभिन्न परीक्षाओं में पंचवर्षीय योजनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूँछ लिए जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इन योजनाओं से संबंधित जानकारी को यहाँ पर दिया गया है :-

आजादी के बाद 1947 में नेहरू जी की अध्यक्षता में आर्थिक नियोजन समिति का गठन किया गया। इसी समिति की सिफारिशों पर 15 मार्च 1950 को योजना आयोग का गठन हुआ। यह एक गैर संवैधानिक या संविधानेत्तर निकाय था। यह परामर्शदात्री निकाय के रूप में कार्य करता था। देश का प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता था। योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू एवं उपाध्यक्ष गुलजारीलाल नंदा थे। 15 अगस्त 2014 को योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया। इसकी जगह 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग नामक संस्था अस्तित्व में आयी।

देश में अब तक 12 पंचवर्षीय योजनाएं लागू की जा चुकी हैं।

पहली पंचवर्षीय योजना (1951-56) :-

  • नेहरू जी ने 8 दिसंबर 1951 को संसद में पहली पंचवर्षीय योजना प्रस्तुत की।
  • हैरॉड डोमार मॉडल पर आधारित इस योजना की सुरुवात 1951 में हुयी।
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य – अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास की प्रक्रिया आरम्भ करना था।
  • इस योजना में कृषि को उच्च प्राथमिकता दी गयी।
  • इस योजना का प्रारंभिक लक्ष्य GDP में 2.1 % की वृद्धि था परन्तु उससे अधिक 3.6 % की प्राप्ति के साथ यह योजना सफल हुयी।
  • इस योजना में प्रति व्यक्ति आय में 11% और राष्ट्रीय आय में 18% की वृद्धि हुयी।
  • इस योजना के दौरान अन्य परियोजनाओं की भी शुरुवात हुयी।  जैसे- भाखड़ा नांगल परियोजना, दामोदर नदी घाटी परियोजना, व्यास परियोजना आदि।
  • इस योजना काल के दौरान उद्योग के विकास की उपेक्षा की गयी। इस क्षेत्र में सिर्फ 6% राशि ही खर्च की गयी।

दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) :-

  • पी. सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित इस योजना की शुरुवात 1956 में हुयी।
  • इसका उद्देश्य – समाजवादी समाज की स्थापना करना था।
  • इस योजना का लक्ष्य GDP में 4.5% की वृद्धि रखा गया था परन्तु 4.1 % की प्राप्ति के साथ यह योजना असफल रही।
  • इस योजना काल में देश के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने हेतु राष्ट्रीय आय में 25% की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया।
  • इस योजना में भरी उद्योगों और खनिजों को प्राथमिकता दी गयी और इस मद में 24 % राशि खर्च की गयी। द्वितीय प्राथमिकता संचार व यातायात को दी गयी और इसमें 28% राशि खर्च की गयी।
  • खादी एवं ग्रामीण उद्योग आयोग की स्थापना की गयी।
  • इस योजनाकाल के दौरान बहुत से वृहत उद्योग स्थापित किये गए। जैसे – दुर्गापुर, भिलाई, राउलकेला के इस्पात कारखाने आदि।

तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1961 में हुयी।
  • इस योजना का उद्देश्य – अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना तथा स्वतः स्फूर्त अवस्था में पहुँचाना था।
  • इस योजना का लक्ष्य GDP में 5.6% की वार्षिक वृद्धि रखा गया था परन्तु यह असफल रही और मात्र 2.8 % ही प्राप्त कर सकी। इसका कारण भारत-पाक युद्ध, भारत-चीन युद्ध और सूखा था।
  • इस योजना में कृषि व उद्योग दोनों को ही प्राथमिकता दी गयी।

योजना अवकाश काल (1966-69) –

  • लगातार दो असफल पंचवर्षीय योजनाओं के बाद योजनावकाश काल में तीन वार्षिक योजनाएं तैयार की गयीं। इस काल में GDP में  3.8% की वार्षिक वृद्धि हुयी।
  • योजनावकाश का प्रमुख कारण भारत-पाक युद्ध व संघर्ष तथा सूखा के कारण उत्पन्न महंगाई था।

चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74) :-

  • योजना अवकाश के कारण यह योजना देर शुरू हो पायी।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य – स्थायित्व के साथ विकास तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता की प्राप्ति रखा गया। इसके साथ ही ‘समाजवादी समाज की स्थापना’ को भी विशेषतः लक्षित किया गया।
  • इस योजना का लक्ष्य 5.7 % वार्षिक वृद्धि रखा गया परन्तु 3.3 % की प्राप्ति के साथ यह भी असफल रही। इसकी असफलता का एक कारण बांग्लादेशी शरणार्थियों का आगमन भी था।
  • क्षेत्रीय विषमता को दूर करने हेतु विकास केंद्र उपागम की शुरुवात की गयी।

पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-78) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 1974 को हुयी। परन्तु अपने कार्यकाल से पूर्व ही 1978 में ही जनता पार्टी की सरकार ने इसे समाप्त कर दिया।
  • इस योजना का उद्देश्य – गरीबी उन्मूलन तथा आत्मनिर्भरता की प्राप्ति था। इस योजना में पहली बार गरीबी और बेरोजगारी पर ध्यान दिया गया।
  • इसमें आर्थिक स्थायित्व लाने को वरीयता दी गयी।
  • इस योजना में 20 सूत्री कार्यक्रम (1975) की शुरुवात की गयी।
  • इस योजना का लक्ष्य पहले 5.5 % वार्षिक वृद्धि रखा बाद में संशोधित कर 4.4 % कर दिया गया। 4.8 % की वार्षिक वृद्धि प्राप्त कर यह योजना सफल रही।

छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 1980 को हुयी।
  • इस योजना की शुरुवात जनता पार्टी की सरकार द्वारा शुरू किये गए रोलिंग प्लान को समाप्त कर की गयी थी।
  • इस योजना का लक्ष्य 5.2 % वार्षिक वृद्धि रखा गया और 5.54 % की प्राप्ति के साथ यह योजना सफल रही।
  • इसका उद्देश्य – गरीबी उन्मूलन और रोजगार में वृद्धि था। पहली बार गरीबी उन्मूलन पर विशेष जोर दिया गया।
  • इस योजना के दौरान समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की शुरुवात की गयी।

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 1985 को की गयी।
  • इस योजना का लक्ष्य 5 % वृद्धि दर रखा गया, 6.02 % वृद्धि दर की प्राप्ति के साथ यह योजना सफल रही।
  • प्रमुख उद्देश्य – समग्र रूप से उत्पादकता को बढ़ाना तथा रोजगार के अधिक अवसर जुटाना। साम्य एवं न्याय पर आधारित सामाजिक प्रणाली की स्थापना। सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को प्रभावी रूप से कम करना। देशी तकनीकी विकास के लिए सुदृढ़ आधार तैयार करना थे। 
  • भोजन, काम और उत्पादन का नारा इसी योजना में दिया गया।
  • जवाहर रोजगार योजना शुरू की गयी।

आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 1992 को की गयी।
  • इस योजना में मानव संसाधन के विकास को प्राथमिकता दी गयी।
  • इस योजना का लक्ष्य 5.6 % वृद्धि रखा गया और 6.8% की प्राप्ति के साथ यह योजना सफल रही।
  • इसी दौरान 1993 में प्रधानमंत्री रोजगार योजना की शुरुवात हुयी।
  • राष्ट्रीय महिला कोष की स्थापना की गयी।

नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997- 2002) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 1997 को हुयी।
  • इस योजना में न्यायपूर्ण वितरण एवं समानता के साथ विकास को प्राथमिकता दी गयी।
  • इस योजना का लक्ष्य GDP में 6.5 % वार्षिक वृद्धि रखा गया और 5.4 % की वार्षिक वृद्धि के साथ यह योजना असफल रही। इस असफलता का कारण अंतर्राष्ट्रीय मंदी थी।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 2002 को हुयी।
  • इसका उद्देश्य – देश में गरीबी और बेरोजगारी समाप्त करना तथा अगले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी करना था।
  • इस योजना का लक्ष्य GDP में  8% वार्षिक वृद्धि रखा गया परन्तु 7.5% की प्राप्ति  के साथ यह योजना असफल रही।
  • इस योजना में प्रतिवर्ष 7.5 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को लक्ष्य बनाया गया। साथ ही 5 करोड़ रोजगार के अवसरों के सृजन को लक्षित किया गया।
  • अन्य लक्ष्य – 75% साक्षरता, 25% वनाच्छादन करना और शिशु मृत्यु दर को कम करना।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 2007 को हुयी।
  • इस योजना का मुख्य लक्ष्य – तीव्रतम एवं समावेशी विकास था।
  • शिक्षा के लिए विषयवस्तु थीम – ‘अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा’

बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) :-

  • इस योजना की शुरुवात 1 अप्रैल 2017 को हुयी।
  • इस योजना का प्रमुख उद्देश्य – तीव्र अधिक समावेशी और धारणीय विकास था।
  • इस योजना का लक्ष्य पहले 9% इसके बाद सितम्बर 2008 में घटाकर 8.2% और अंत में 8% की वार्षिक वृद्धि कर दिया गया।
  • इसका लक्ष्य गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार के 5 करोड़ नए अवसर सृजन का है।
  • प्रजनन दर को घटाकर 2.1 % तक लाना, सभी गाँवों को बारहमानसी सड़कों से जोड़ना। सभी गावों का विद्युतीकरण करना।

विशेष- साल 2012 में शुरु हुई 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद साल 2014 में आयी मोदी सरकार ने पंचवर्षीय योजना बनाना बंद कर दिया। इस तरह 12वीं पंचवर्षीय योजना भारत की अंतिम पंचवर्षीय योजना थी।

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