भारत में गठित प्रमुख आयोग – भारत में कई आयोगों का गठन किया गया है जैसे – वित्त आयोग, लोक सेवा आयोग, योजना आयोग या नीति आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आदि। जिनमें से प्रमुख आयोग यहाँ दिए गये हैं।
वित्त आयोग (Finance Commission)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-280 के तहत के तहत केंद्र में एक वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसके गठन का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है। इस आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद – 243 (1) में राज्यों हेतु वित्त आयोग के गठन का प्रावधान है। पहले वित्त आयोग का गठन 1951 में के. सी. नियोगी की अध्यक्षता में किया गया। अब तक कुल 15 वित्त आयोग गठित किये जा चुके हैं। 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में एन. के. सिंह को चुना गया।
लोक सेवा आयोग
भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत भारत में सर्वप्रथम 1926 में लोक सेवा आयोग की स्थापना की गयी। इसके लिए 1924 में विधि आयोग द्वारा सिफारिश की गयी थी। केंद्र में एक संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) के अतिरिक्त राज्य लोक सेवा आयोगों का भी गठन किया गया है। संघ लोकसेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति सदस्यों के संख्या का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। राज्य लोकसेवा आयोग के सदस्यों की की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है परन्तु उन्हें हटाने का अधिकार उसे नहीं है। UPSC के अध्यक्ष व सदस्य 6 वर्ष 65 वर्ष की आयु के लिए नियुक्त किये जाते हैं। राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission) के अध्यक्ष व सदस्य 6 वर्ष 62 वर्ष की आयु के लिए नियुक्त किये जाते हैं।
परिसीमन आयोग
परिसीमन आयोग का संविधान स्पष्टतः निर्देश नहीं दिया गया है। 1976 से 2000 तक परिसीमन पर रोक लगा दी गयी। देश का मुख्य निर्वाचन आयुक्त और सभी राज्यों व केंद्र शासित राज्यों के निर्वाचन आयुक्त इसके सदस्य होते हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
मानवाधिकार आयोग एक गैर संवैधानिक संस्था है। इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण – 1993 तहत किया गया। इसके अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस आयोग का अध्यक्ष भारत का कोई सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ही हो सकता है। इस आयोग की शक्तियां सिफारिशी प्रवृत्ति की हैं। इसी तरह दूसरी संस्था राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा का इस आयोग की सदस्या होना अनिवार्य है अर्थात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की कोई सदस्य ही राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष हो सकती है। इसके अतिरिक्त राज्यों के अपने मानवाधिकार आयोगों का भी गठन किया जाता है।