जहाँगीर के बारे में पूरी जानकारी

जहाँगीर के बारे में पूरी जानकारी – जहाँगीर का पूरा नाम मिर्ज़ा नूरुद्दीन बेग मुहम्मद ख़ान सलीम ( Mirza Nur-ud-din Beig Muhammad Khan Salim ) था। परन्तु वह अपने शाही नाम जहाँगीर से जाना जाता है।

जन्म व प्रारंभिक जीवन –

इसका जन्म 30 अगस्त 1569 ईo को शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में हरखाबाई के गर्भ से हुआ था। सलीम चिश्ती के नाम पर ही इसका मूल नाम सलीम रखा गया। अकबर इसे प्यार से शेखु बाबा कहकर बुलाता था। यह अकबर की जीवित संतानो में ज्येष्ठ था। शिक्षा के लिए इसे सर्वप्रथम अब्दुर्रहीम खानखाना के संरक्षण में रखा गया। इसने प्रमुख धर्मशास्त्री शेख अब्दुल नवी से भी शिक्षा प्राप्त की।

जहाँगीर की पत्नियां और संतानें

मानबाई – सलीम का पहला विवाह 1585 ईo में कछवाहा राजकुमारी मानबाई से हुआ। ये आमेर के शासक भगवानदास की पुत्री व मानसिंह की बहन थी। अकबर इस समय लाहौर में था और वह विवाह में सम्मलित नहीं हो पाया। इसी पत्नी से खुसरो पैदा हुआ था। 1604 ईo में इस पत्नी ने आगरा के किले से कूदकर आत्महत्या कर ली।

जगत गोसाई/जोधा बाई – ये मारवाड़ के राजा उदयसिंह की पुत्री थीं। खुर्रम ( शाहजहाँ ) इसी की संतान था।

जहांगीर का एक पुत्र शहरयार एक रखैल/दासी/नौकरानी से उत्पन्न था।

मेहरुन्निसा ( नूरजहाँ ) – 1611 ईo में जहांगीर ने विधवा मेहरुन्निसा से विवाह किया। जहांगीर इसके प्रभाव में इस हद तक आ गया था कि अंत में उसने कहा “मुझे एक सेर शराब और आधा सेर मांस के अतिरिक्त कुछ नहीं चाहिए, मैंने बादशाहत नूरजहाँ को सौंप दी है।”

राज्याभिषेक

अकबर की मृत्यु के 8 वें दिन 3 नवंबर 1605 ईo को मुहम्मद जहाँगीर बादशाह गाजी के नाम से शासक बना। इसका राज्यारोहण व्यवस्थित रूप ने नहीं हुआ इसने स्वयं ही अपने हाथों से मुकुट अपने सर पर रख कर खुद को बादशाह घोषित किया।

  • गद्दी पर बैठने के बाद जहाँगीर को सर्वप्रथम 1606 ईo में खुशरो के विद्रोह का सामना करना पड़ा।
  • 1612 ईo में जहांगीर ने पहली बार रक्षाबंधन मनाया।
  • इसने दीपावली के दिन जुआं खेलने की इजाजत दे रखी थी।
  • यह ब्राह्मणों व मंदिरों को खूब दान दिया करता था।
  • इसने सूरदास को भी आश्रय दिया। इसी के समय सूरसागर की रचना हुयी।

जहाँगीर के समय आये विदेशी यात्री –

कैप्टन विलियम हाकिंस व विलियम फिच एक साथ हेक्टर नामक जहाज से 1608 ईo में सूरत पहुँचे। हाकिंस अकबर को संबोधित जेम्स प्रथम का पत्र व 25000 स्वर्ण सिक्के लेकर जहांगीर के दरबार में 16 अप्रैल 1609 को प्रस्तुत हुआ। यह तुर्की और फारसी का महान ज्ञाता था इसलिए इसी किसी अनुवादक की आवश्यकता नहीं हुयी। इसने जहांगीर को मुगलों की राजकीय भाषा फ़ारसी में नहीं बल्कि तुर्की में अपना परिचय दिया। इसी ने कहा “चाँदी भारत में आती ही आती है, जाती नहीं”।

विलियम फिंच – ने अनारकली का जिक्र किया है। उसके मकबरे पर पहुंचने वाला यह पहला अंग्रेज था।

पालकोनग – 1612 ईo में भारत आया।

विलियम एडवर्ड – 1615 ईo में भारत आया।

कैप्टन निकोलस डाउन्स – 1615 ईo में यह गुजरात के तट पर उतरा परन्तु वहां के सूबेदार मुकर्रब खां की वजह से वह आगरा नहीं जा सका।

निकोलस विथिंगटन – यह 1614 ईo में आगरा आया, इसने सती प्रथा का भी जिक्र किया है।

सर टॉमस रो – 1615 ईo में यह अपने गुरु पादरी एडवर्ड टेरी के साथ भारत आया। ये थॉमस कोर्यत के साथ जहांगीर से सर्वप्रथम अजमेर में मिला। यह बधह के साथ बहुत सी जगहों पर गया और उनके साथ शिकार पर जाने का भी अवसर प्राप्त हुआ।

फ्रांसिस्को पेलसार्ट – यह डच यात्री 1620 ईo में भारत आया। इसे जहांगीर ने आगरा टकसाल का अध्यक्ष बनाया।

मृत्यु –

जहाँगीर की मृत्यु 28 अक्टूबर 1627 ईo को भीमवार में हो गयी। उसे रावी नदी के किनारे शाहदरा (लाहौर) में दफनाया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य –

  • जहांगीर का मकबरा नूरजहां ने बनवाया।
  • मुग़ल चित्रकला इसी के काल में चरमोत्कर्ष पर पहुंची।
  • इसके काल को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है।
  • 1626 ईo में नूरजहाँ ने एतमा उद्दौला का मकबरा बनवाया। सर्वप्रथम इसी में पितरा दुरा का प्रयोग किया गया।
  • जहांगीर ने आत्मकथा तुजुक ए जहाँगीरी की शुरुवात की जिसे पूरा करने का श्रेय मौतबिंद खां को जाता है।
  • खुसरो को सहायता देने के कारण जहांगीर ने सिखों के 5 वें गुरु अर्जुनदेव को फाँसी दे दी।
  • नूरजहां की माँ अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि की खोज की।

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