भारतीय संविधान की प्रस्तावना ( Preamble ) – किसी भी पुस्तक के मूल तत्वों को लिखने से पूर्व के पृष्ठों में से एक पर एक उद्देशिका / अनुक्रमणिका अंकित होती है जो उस पुस्तक में दी गयी जानकारी का एक संक्षिप्त रूप होती है और उसके उद्देश्यों को प्रकट करती है। जिसे पढ़कर पाठकगण उस पुस्तक के मूल तत्व को जान सकें, इसी तरह जब भारत के लिए एक पृथक संविधान का निर्माण किया गया। तो उसके मूल उद्देश्यों को प्रकट करने के लिए उसकी प्रस्तावना की रचना की गयी। भारतीय संविधान की उद्देशिका अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रभावित है। और ये विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
भारत का संविधान
उद्देशिका
हम, भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय;
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता;
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए;
तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए;
दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनाँक 26 नवंबर 1949 ईo “मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत 2006 विक्रमी” को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
प्रस्तावना से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –
- यह प्रस्तावना मूल प्रस्तावना से थोड़ी पृथक है क्योंकि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा इसमें ‘समाजवादी‘, ‘पंथनिरपेक्ष‘, और ‘राष्ट्र की अखण्डता‘ ये 3 शब्द जोड़े गए।
- 26 नवंबर (जिस दिन संविधान को अंगीकृत किया गया) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया, प्रति वर्ष इसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “संविधान की आत्मा“, “संविधान की कुंजी” और “हमारे संप्रभु, प्रजातांत्रिक गणतंत्र की जन्मकुंडली” भी कहा जाता है।
- हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान के अधीन समस्त शक्तियों का केंद्रबिंदु भारत की जनता अर्थात “हम भारत के लोग” हैं क्योंकि इन्हीं शब्दों से हमारे संविधान का प्रारम्भ होता है।
- प्रस्तावना की भाषा और इसमें निहित भावना (स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को छोड़कर) ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रभावित है।
- “हम भारत के लोग” इन शब्दों की रूपरेखा USA/UNO से प्रभावित है।
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