वैदिक गणित को सीखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांतों जैसे विनकुलम् व निखिलम् सूत्र को जानना बहुत ही आवश्यक है। गणित की साधारण प्रणाली में जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है उनके सभी अंक धनात्मक होते हैं। जैसे – संख्या 12755 के सभी अंक धनात्मक हैं। जबकि वैदिक गणित में धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों प्रकार के अंकों का प्रयोग किया जाता है। वैदिक गणित में प्रयुक्त होने वाली संख्याओं के सभी अंक 5 या 5 से छोटे रखे जाते हैं अर्थात उनमें बड़े अंकों 6, 7, 8, 9 का प्रयोग नहीं किया है।अंकों 6, 7, 8, 9 को छोटे अंकों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में ऋणात्मक अंक प्राप्त होते हैं।
विनकुलम् :
वैदिक गणित ( Vedic Mathematics ) में प्रयुक्त संख्याओं के अंकों को ऋणात्मक रूप में लिखने को विनकुलम् कहते हैं। वैदिक गणित में ऋणात्मक अंक ( -3 ) को, अंक 3 के ऊपर ऋणात्मक चिह्न लगाकर [/bar{3}
] द्वारा व्यक्त किया जाता है जो ( -3 ) का विनकुलम् अंक या विनकुलम् कहलाता है।
सिद्धांत :
वैदिक गणित में प्रयुक्त होने वाली संख्याओं में सभी अंक 5 या 5 से छोटे रखे जाते हैं। अतः संख्या में जो भी अंक 5 से बड़े ( 6, 7, 8, 9 ) होते हैं, उन सभी अंकों के स्थान पर उनके विनकुलम् अंक रख देते हैं।
किसी अंक का विनकुलम् ज्ञात करना :
5 से बड़े जिस अंक का विनकुलम् ज्ञात करना हो तो उसका ’10 से विचलन’ ज्ञात कर लेते हैं।
उदाहरण – अंक 7 का विनकुलम् ज्ञात करना।
अंक 7 का 10 से विचलन = 7-10 = -3
अंक 7 का विनकुलम् =
इसी प्रकार, अंक 6 का विनकुलम् =
अंक 8 का विनकुलम् =
अंक 9 का विनकुलम् =
विनकुलम् संख्याएँ :
वे संख्याएँ जिनमें धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों प्रकार के अंक प्रयुक्त होते हैं, विनकुलम् संख्याएँ कहलाती हैं। जैसे – 4
3
निखिलम् सूत्र :
‘प्रत्येक अंक को 9 में से तथा अंतिम दाएँ अंक को 10 में से घटाओ।’
इस सूत्र की सहायता से सामान्य संख्याओं को विनकुलम् संख्याओं में आसानी से बदल सकते हैं।
साधारण संख्या को विनकुलम् संख्या में बदलना :
किसी संख्या को विनकुलम् के रूप में लिखने के लिए उस संख्या में आने वाले 5 से बड़े अंकों को उनके विनकुलम् अंकों में बदल देते हैं। 5 से छोटे अंकों को ज्यों का त्यों लिखते हैं। अब भिन्न-भिन्न उदाहरणों के माध्यम से पूरी विधि को सीखेंगे –
(अ) जब केवल एक अंक का विनकुलम् ज्ञात करना हो –
371 को विनकुलम् रूप में लिखना।
- सर्वप्रथम अंक 7 का 10 से विचलन ज्ञात करते हैं जो ( – 3 ) है।
अंक 7 का विनकुलम् अंक =
- अंक 7 के बायीं ओर स्थित अंक 3 में 1 की वृद्धि करते हैं | अतः 3+1=4
- संख्या 371 में 7 के स्थान पर
- तथा बायीं ओर स्थित अंक 3 के स्थान पर 4 लिखते हैं।
371 = 4
1
उदाहरण- संख्या 93 को विनकुलम् रूप में लिखना।
- 93 = 093 = (0+1)(9-10)3 = 1(-1)3 = 1
- 3
(ब) जब संख्या में एक से अधिक 5 से बड़े अंक हों –
यदि दी हुई संख्या में 5 से बड़े कई अंक हों तो सबसे पहले उन अंकों के अलग-अलग समूह बना लेते हैं। यदि दो या दो से अधिक ऐसे अंक लगातार हों तो उन सभी अंकों का एक समूह बना लेते हैं। आगे फिर यह प्रक्रिया अपनाते हैं –
- प्रत्येक समूह जो अंक सबसे दायीं ओर होता है, उसे 10 में से घटाकर तथा शेष अंकों को क्रम से 9 घटाकर जो अंक प्राप्त होते हैं उनके ऊपर ऋणात्मक चिन्ह (-) लगा देते हैं। फिर समूह के प्रत्येक अंक को उसके विनकुलम से बदल देते हैं।
- प्रत्येक समूह के ठीक बायीं ओर के अंक के मान में एक की वृद्धि करके वहाँ के अंक को 1 बढ़ाकर लिख देते हैं।
- यदि किसी समूह में केवल एक अंक हो तो उसे 10 से घटाकर उसका विनकुलम लिख देते हैं।
उदाहरण – संख्या 681786 को विनकुलम् रूप में लिखना।
681786 = (68)1(786) = 0(68)1(786) = (0+1)[(6-9)(8-10)](1+1)[(7-9)(8-9)(6-10) = 1[(-3)(-2)]2[(-2)(-1)(-4)] = 1
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