महावीर स्वामी ( Mahaveer Swami ) का जीवन परिचय – महावीर स्वामी छठी शताब्दी ईसा पूर्व हुए धार्मिक आंदोलन में जैन धर्म के महत्वपूर्ण स्तभ थे। गौतम बुद्ध की तरह ये अपने जैन धर्म के संस्थापक नहीं थे। बल्कि ये जैन धर्म के 24 वें तीर्थांकर थे। अर्थात इनसे पहले भी 23 तीर्थांकर इस धर्म का नेतृत्व कर चुके थे। परन्तु जैन धर्म की पुनर्स्थापना में महावीर स्वामी का सबसे महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इन्हें ही जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। महावीर स्वामी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी –
जन्म | 599 ईo पूo |
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जन्म स्थान | कुण्डग्राम ( वासुकुण्ड ) |
माता | त्रिशला |
पिता | सिद्धार्थ / श्रेयंस / यासांस |
बचपन का नाम | वर्धमान |
गोत्र | कश्यप |
जाति | ज्ञातृक |
वंश | इक्ष्वाकु |
प्रतीक | सिंह |
पत्नी | यशोदा |
भाई | नंदिवर्धन |
बहन | सुदर्शना |
पुत्री | प्रियदर्शना / अणनौज्जा |
गृहत्याग | 30 वर्ष की अवस्था में |
ज्ञान की प्राप्ति | 42 वर्ष की अवस्था में, ऋजुपलिका नदी तट पर शाल वृक्ष के नीचे |
प्रथम उपदेश | राजगृह में बराकर नदी तट पर बिपुलाचल पहाड़ी पर |
प्रथम वर्षावास | अस्तिकाग्राम में |
प्रथम शिष्य | जमालि |
प्रथम शिष्या | चांदना |
प्रथम गणधर | गौतम स्वामी |
अंतिम वर्षावास | पावापुरी |
संघ का प्रथम विच्छेदक | जमालि |
संघ का द्वितीय विच्छेदक | तीसगुप्त |
मृत्यु | 527 ईo पूo पावापुरी में |
महावीर स्वामी का जन्म 599 ईo पूo वैशाली के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। इनके बचपन का नाम वर्धमान था। इनकी माता त्रिशला लिच्छवि नरेश चेटक की बहन थीं। इनके पिता सिद्धार्थ ज्ञातृक क्षत्रियों के संघ के प्रधान थे। जो कि वज्जि संघ के 8 गणराज्यों में से एक था। इनकी पत्नी का नाम यशोदा ( कुण्डिन्य गोत्र की ) था। जिनसे एक पुत्री प्रियदर्शना उत्पन्न हुयी थी। प्रियदर्शना का विवाह जमाली से हुआ था। जमाली ही महावीर का प्रथम शिष्य बना। 30 वर्ष की अवस्था में महावीर स्वामी ने घर त्याग दिया। 12 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद 42 वर्ष की अवस्था में जुम्भिक ग्राम के पास ऋजुपालिका नदी के तट पर एक साल वृक्ष के नीचे कैवल्य ( सर्वोच्च ज्ञान ) की प्राप्ति हुयी। कैवल्य की प्राप्ति के बाद ये केवलिन, जिन ( विजेता ), अर्ह ( योग्य ), एवं निर्ग्रन्थ ( बंधनरहित ) कहे जाने लगे। 72 वर्ष की अवस्था में 527 ईo पूo दीपावली के दिन पावापुरी में आत्म उपवास ( संलेखना पद्धति ) से इनकी मृत्यु हो गयी।