नीति आयोग के बारे में जानकारी

नीति आयोग के बारे में जानकारी – 15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग को समाप्त कर इसके स्थान पर एक नई संस्था नीति आयोग के गठन की घोषणा की। इसके बाद 1 जनवरी 2015 को NITI (National Institution for Transforming India) आयोग अस्तित्व में आया। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यह संस्था थिंक टैंक के रूप में कार्य करेगी। यह संघ सरकार के साथ साथ राज्य की सरकारों के लिए भी नीति निर्माण का कार्य करेगी। 

नीति आयोग की संरचना :-

अध्यक्ष – प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होगा

उपाध्यक्ष – अरविन्द पनगढ़िया को इसका पहला उपाध्यक्ष बनाया गया ( उपाध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री करता है )

वर्तमान उपाध्यक्ष – सुमन बेरी

मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) –  सिंधुश्री खुल्लर > अमिताभ कांत >शशांक शाह, एम. के. तलवाल

पूर्णकालिक सदस्य –  देवराय और वी. के. सारस्वत

पदेन सदस्य – गृहमंत्री ( राजनाथ सिंह ), वित्त मंत्री ( अरुण जेटली ), रेल मंत्री ( सुरेश प्रभु ), कृषि मंत्री ( राधामोहन सिंह )

विशेष आमंत्रित सदस्य – स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी, थावर चंद्र गहलोत

अधिशासी परिषद् – सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री व केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल

नोट – पदेन अध्यक्ष का अर्थ होता है “पद पर रहने तक” अर्थात यदि भारत का प्रधानमंत्री नीति आयोग का पदेन अध्यक्ष है तो वो तब तक ही इस आयोग का अध्यक्ष रहेगा जब तक वो प्रधानमंत्री के पद पर है। कल को जब कोई और प्रधानमंत्री बन जायेगा तो वह स्वतः ही नीति आयोग का अध्यक्ष बन जायेगा।

योजना आयोग :-

योजना आयोग का गठन 15 जनवरी 1950 के केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प द्वारा 15 मार्च 1950 को  किया गया था। योजना आयोग एक गैर संवैधानिक या संविधानेत्तर संस्था थी। प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता था। इसके पहले अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू और उपाध्यक्ष गुलजारी लाल नंदा थे। इसके उपाध्यक्ष का दर्जा केंद्रीय केबिनेट मंत्री के बराबर का होता था। योजना आयोग का प्रमुख कार्य केंद्र की पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करना तथा राज्य की वार्षिक योजनाओं के संबंध में सलाह देना था। राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अनुदानों में लगभग 70 % इसी आयोग की सिफारिशें पर आधारित होती थीं। योजना आयोग का सचिव ही विकास परिषद् का भी सचिव कहलाता था। 15 अगस्त 2014 को भारत के तत्कालिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस आयोग को समाप्त कर दिया गया।

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