विश्व की जनसंख्या (Population of the World) – पृथ्वी पर बढ़ती आबादी और घटते संसाधन आधुनिक युग की सबसे विकराल समस्या है। ऐसा भी नहीं कि सभी देश इस समस्या से जूझ रहे हों। अपितु कुछ देश ऐसे भी हैं जो जनसंख्या न बढ़ने की समस्या से पीड़ित हैं। परन्तु ऐसे कुछ देश ही हैं। भारत की जनसंख्या भी भारत के लिए एक विकट समस्या बनती जा रही है। जनसंख्या की तीव्र गति से हुयी वृद्धि हमेशा से नहीं थी। यह समस्या मानव इतिहास में कुछ सदी पुरानी ही है।
मानव विकास के लाखों वर्षों और सभ्यताओं के हजारों वर्षों के इतिहास के बाद सन् 1830 में पृथ्वी पर मानव की कुल आवादी एक अरब हो गयी। यह आंकड़ा पाने को मानव को लाखो वर्ष लग गए। परन्तु इसके बाद अगले मात्र 100 वर्षों में ही अर्थात 1930 में पृथ्वी पर मानवों की जनसंख्या 02 अरब हो गयी। उसके बाद फिर एक अरब की आवादी बढ़ाने में मानवों को मात्र 30 वर्ष लगे अर्थात 1960 में पृथ्वी पर मनुष्यों की आबादी 03 अरब हो गयी। इसके बाद मात्र 15 वर्षों में ये आंकड़ा प्राप्त कर 1975 में हमारी आबादी 04 अरब हो गयी। इसके बाद मात्र 12 वर्षों में विश्व की जनसंख्या एक अरब बढ़ी और 11 जुलाई 1987 को पृथ्वी पर कुल जनसंख्या 05 अरब हो गयी। इस उपलक्ष्य में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया। उसके फिर 12 वर्ष बाद एक अरब जनसंख्या की वृद्धि हुयी और 12 अक्टूबर 1999 को ये आंकड़ा 06 अरब हो गया। उसके 13 वर्ष बाद सन् 2012 में विश्व की कुल जनसंख्या 07 अरब को पार कर गयी। यह आंकड़ा निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।
विश्व जनसंख्या : एक नजर में –
विश्व महाद्वीपों में जनसंख्या घनत्व –
एशिया > यूरोप > उo अमेरिका > अफ्रीका > दo अमेरिका > ओशीनिया
पृथ्वी की 90% से अधिक जनसंख्या उत्तरी गोलार्द्ध में निवास करती है। बाकी 10% से भी कम आबादी दक्षिणी गोलार्द्ध में है।
विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश –
चीन > भारत > अमेरिका > इंडोनेशिया > ब्राजील