संगम काल का इतिहास

संगम काल का इतिहास (Sangam Period History) – संगम का तात्पर्य तमिल कवियों के संघ से है। खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख और अशोक के दूसरे शिलालेख में तमिल क्षेत्र के राज्यों का उल्लेख प्राप्त होता है। संगम साहित्य में हम कुल तीन राज्यों – चोल, चेर, पाण्ड्य के बारे में पढ़ते हैं।

संगम काल या संगम युग में हुए सम्मेलनों का समय, स्थान व अध्यक्ष :-

इन सभी संगमों/सम्मेलनों के संरक्षक पाण्ड्य शासक थे।

संगम/सम्मलेन स्थान समय अध्यक्ष
प्रथम संगम मदुरै 549 ईo पूo अगस्त ऋषि
द्वितीय संगम कपाटपुरम/अलवै 59 ईo पूo अगस्त्य ऋषि > तोल्काप्पियर
तृतीय संगम मदुरै 49 ईo पूo नक्कीरर

अगस्त्य ऋषि को ही दक्षिण भारत में आर्य संस्कृति के प्रसार का श्रेय जाता है।

संगम काल के प्रमुख शासक

चोल साम्राज्य –

शासक :- एलारा, करिकाल

चोल वंश की प्रथम जानकारी कात्यायन की वर्तिका से प्राप्त होती है। तमिल साहित्य में इसे सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य माना गया है। इस साम्राज्य का राज्य प्रतीक वाघ था। करिकाल ने कोविलबेन्नी के युद्ध में 11 राजाओं के संघ को पराजित किया। ‘पेरुनानुन्नपादे’ में इसे संगीत के सात स्वरों का विशेषज्ञ बताया गया है। इसने कावेरी नदी किनारे 160 Km लंबे बाँध का निर्माण कराया। 9 वीं शताब्दी के मध्य विजयालय के नेतृत्व में चोल सत्ता का  पुनरुत्थान हुआ।

चेर साम्राज्य –

शासक :- उदियन जेरल, नेंदुजीरल आदान, शेनगुट्टवन (लाल चेर), सैईयै

चेर शासक आदिग इमाम ने दक्षिण भारत में गन्ने की खेती का प्रारम्भ किया था। उदियन जेरल ने महाभारत के युद्ध वीरों को भोजन कराया था। इसने पाकशाला बन बायीं और जनता में नियमित रूप से भोजन का वितरण करवाया। शेनगुट्टवन (न्यायपरायण) सात राजमुकुटों की माला धारण करता था। इसी ने कन्नगी पूजा या पत्तनी पूजा की शुरुवात की थी।

पाण्ड्य साम्राज्य –

शासक :- नेडियोन, नेडुजेलियन

पांड्यों का उल्लेख सर्वप्रथम मेगस्थनीज ने किया। उसके अनुसार पाण्ड्य राज्य पर पहले हेराक्लीज की पुत्री का शासन था। पाण्ड्य शासक नेडुजेलियन ने चेर राजा शेय (हाथी की आँख वाला) को पराजित कर बंदी गृह में डाला।

संगम काल के प्रमुख साहित्य व साहित्यकार :-

साहित्य साहित्यकार प्रमुख
तोलकाप्पियम टोलकाप्पियर दूसरे संगम का एकमात्र व्याकरण ग्रंथ यही उपलब्ध है।
मणिमेखलै सीतलैसत्रनार यह एक बौद्ध पुस्तक है जो सिर्फ बौद्ध धर्म का ही गुणगान करती है।
जीवाकचिंतामणि तिरुत्तक्कदेवर
अहनानूर रूद्रसर्मन
शिलप्पादिकारम इलांगोआदिगाल
तिरुक्कुरल/कुरल तिरुवल्लुवर इसे तमिल साहित्य का आधार/बाइबिल/ एवं पंचम वेद कहा जाता है।
मरुगर्रुप्पादय नक्कीरर
  • प्रथम संगम का कोई भी ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है।

संगम युग के पाँच महाकाव्य – शिल्पादिकाराम, मणिमेखलै, जीवाकचिंतामणि, वलयपति, कुण्डलकेशि  हैं। इनमें से जीवाकचिंतामणि ही उपलब्ध है।

संगम काल के प्रमुख नगर :-

उरैयूर – यह चोलों की राजधानी था और सूती कपड़ों का बड़ा केंद्र था।

पुहार – यह प्रसिद्ध बंदरगाह चोलों की समुद्रतटीय राजधानी था।

मदुरै – यह पाण्ड्य साम्राज्य की राजधानी था।

कोरकाई – यह पांड्यों की समुद्रतटीय राजधानी थी।

वांजि/करैयूर- यह चेर साम्राज्य की राजधानी था।

मुशिरी/मुजीरिस – यह चेर कालीन बंदरगाह था।

संगम कालीन प्रमुख शब्दावली :-

मा/वेल्लि – भूमि की माप

इरय – भूमि कर

ईरादु – जबरन बसूला जाने वाला कर

उल्गु/शुगम – चुंगी व सीमा शुल्क

कुडमै/पादु – राजा को दिया जाने वाला कर

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