सोलह महाजनपद (16 Mahajanapadas) और उनकी राजधानी

सोलह महाजनपद (16 Mahajanapadas) और उनकी राजधानी – छठी शताब्दी ईo पूo भारत में सोलह महाजनपदों का अस्तित्व था। इसकी जानकारी बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय और जैन ग्रन्थ भगवतीसूत्र से प्राप्त होती है। तमिल ग्रन्थ शिल्पादिकाराम में तीन महाजनपद – वत्स, मगध, अवन्ति का उल्लेख मिलता है। इन 16 महाजनपदों में से 14 राजतंत्र और दो (वज्जि, मल्ल) गणतंत्र थे। बुद्ध काल में सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद – वत्स, अवन्ति, मगध, कोसल

सोलह महाजनपद और उनकी राजधानियाँ

16 महाजनपद

काशी – वाराणसी

इसकी राजधानी वाराणसी वरुणा और अस्सी नदी के बीच स्थित थी। यहाँ का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक ब्रह्मदत्त था। प्रारम्भ में यही सबसे शक्तिशाली महाजनपद था। इसका अधिकार कोसल व अंग पर भी था। परन्तु बाद में कोसल की शक्ति के आगे इसने आत्मसमर्पण कर दिया। काशी को अविमुक्त क्षेत्र अभिधान भी कहा जाता था। अथर्ववेद में काशी के निवासियों का सर्वप्रथम जिक्र मिला है।

कोसल – श्रावस्ती

वर्त्तमान अवध का क्षेत्र इसके अंतर्गत आता था। इसकी राजधानी श्रावस्ती अचिरावती/राप्ती नदी के तट पर बसी थी। यह एक चंद्राकार रूप में बसा हुआ नगर था। यहाँ का सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक प्रसेनजित इच्छवाकु कुल का था। इसके प्रधानमंत्री दीर्घचारण ने विद्रोह कर इसके पुत्र को गद्दी पर बिठा दिया। प्रसेनजित शरण लेने अपने दामाद अजातशत्रु के पास राजगृह पंहुचा परन्तु राजमहल के बाहर ही इसकी मृत्यु हो गयी। कोसल की पूर्वी सीमा पर सदानीरा (गंडक) नदियां, पश्चिमी सीमा पर गोमती नदी, दक्षिणी सीमा पर सर्पिका (सई) नदी बहती थी। श्रावस्ती की पहचान आधुनिक महेत से की जाती है। शाक्यों का कपिलवस्तु गणराज्य, कुशावती नगर और साकेत (अयोध्या) कोसल महाजनपद के ही अंतर्गत आते थे।

अंग – चम्पा

यह आधुनिक भागलपुर और मुंगेर जिले में अवस्थित था। इसकी राजधानी चम्पा थी। चम्पा को ही पुराणों में मालिनी कहा गया है। चम्पा नदी अंग व मगध के बीच सीमा का निर्धारण करती थी। बुद्ध काल में चम्पा की गणना भारत के 6 महानगरों में की जाती थी। यहाँ का शासक दधिवाहन महावीर स्वामी का भक्त था।

चेदि – शक्तिमती

ये आधुनिक बुन्देलखण्ड में अवस्थित था। इसकी राजधानी शक्तिमती थी।

वत्स – कौशाम्बी

भगवान बुद्ध के समय यहाँ का शासक उदयन था, जो कि पौरवंशीय था। ये पुरुजन्य हस्तिनापुर छोड़कर आए थे। उदयन को अवन्ति के शासक प्रद्योत ने बन्दी बना लिया और अपनी पुत्री वासवदत्ता का संगीत शिक्षक नियुक्त कर दिया। उदयन और वासवदत्ता के बीच प्रेमसंबंध हो गए तो वे भागकर कौशाम्बी आ गए। भास ने इसी पर आधारित स्वप्नवासदत्ता नामक कहानी की रचना की। कौशाम्बी बौद्ध व जैन दोनों धर्मो का प्रमुख केंद्र थी। यह जैनियों के छठे तीर्थंकर पद्मप्रभु की जन्मस्थली है। यहीं के प्रभासगिरि पर्वत पर उन्होंने तप किया था। यह यमुना नदी किनारे स्थित थी।

कुरु – इंद्रप्रस्थ

यह आधुनिक दिल्ली, मेरठ, थानेश्वर के क्षेत्र पर विस्तृत था। महात्मा बुद्ध के समय यहाँ का शासक कोरव्य था। यहाँ के लोग बल-बुद्धि के लिए विख्यात थे। हस्तिनापुर नगर इसी में पड़ता है।

पांचाल – अहिच्छत्र व काम्पिल्य

यह आधुनिक रुहेलखण्ड के बरेली, बदायूं, फर्रुखाबाद के क्षेत्र में विस्तृत था। पांचाल दो भागों में विभक्त था। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र या अहिच्छेत्र और दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य थी। कान्यकुब्ज (कन्नौज) इसी के अंतर्गत आता था।

मत्स्य – विराटनगर

यह आधुनिक जयपुर के निकट अवस्थित था। इसका संस्थापक विराट था।

सूरसेन – मथुरा

यहाँ का शासक अवन्तीपुत्र था। यह महात्मा बुद्ध का शिष्य था। इसी के माध्यम से मथुरा में बौद्ध धर्म का प्रचार व प्रसार हुआ।

अश्मक – पैठान/प्रतिष्ठान/पोतन/पोटिल

यह दक्षिण में स्थित एकमात्र महाजनपद था। यह गोदावरी के तट पर अवस्थित था। यहाँ पर इच्क्षवाकु वंश के शासकों का शासन था।

अवन्ति – उज्जैन, महिष्मति

यहाँ का शासक चंडप्रद्योत महासेन था। यह राज्य दो भाग में विभक्त था। उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जैन और दक्षिणी अवन्ति की राजधानी महिष्मति थी। दोनों राजधानियों के बीच वेत्रवती नदी बहती थी। मगध के अतिरिक्त यही राज्य था जहाँ लोहे की खाने थीं।

गांधार – तक्षशिला

गांधार काबुल घाटी में अवस्थित था। पुष्कलावती यहाँ का द्वितीय प्रमुख नगर था।

कम्बोज – हाटक/राजपुर

कम्बोज अपने घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था। यह गांधार का पड़ोसी राज्य था और अफगानिस्तान में पड़ता था। कौटिल्य ने इसे वार्ताशस्त्रोजीवी संघ कहा है।

वज्जि – वैशाली

यह आठ जनों का संघ था जिनमे सबसे प्रमुख लिच्छवि थे। इसकी राजधानी गण्डक नदी के तट पर अवस्थित थी। गंगा नदी वज्जि और मगध के बीच की सीमा का निर्धारण करती थी। इस संघ में आठ न्यायालय थे। लिच्छवि गणराज्य को विश्व का पहला गणतंत्र माना जाता है।

मल्ल – कुशीनगर, पावा

यह आधुनिक उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में पड़ता था। यह दो भागों में विभक्त था। इसके उत्तरी भाग की राजधानी कुशीनगर और दक्षिणी भाग की राजधानी पावा थी। बुद्ध की मृत्यु के बाद मल्लों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी। वे मगध की साम्राज्यवादी नीतियों का शिकार हो गए।

मगध – गिरिव्रज/राजगृह

काशी, कोसल, अंग, चेदि, वत्स, कुरु –

काशी महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – वाराणसी

किस महाजनपद की राजधानी वरुणा और असी नदियों की बीच अवस्थित थी – काशी

काशी का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक कौन था – ब्रह्मदत्त

महाजनपद काल के आरंभ में कौनसा महाजनपद सबसे शक्तिशाली था – काशी

किस महाजनपद को अविमुक्त क्षेत्र अभिधान की संज्ञा दी गई – काशी

कोसल महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – श्रावस्ती

वर्तमान अवध का क्षेत्र किस महाजनपद के अंतर्गत आता था – कोसल महाजनपद

कोसल का सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक कौन था – प्रसेनजित

प्रसेनजित ने स्वयं को किस कुल का बताया – इक्ष्वाकु

प्रसेनजित का प्रधानमंत्री कौन था जिसने विद्रोह किया था – दीर्घचारण

अजातशत्रु से अपनी पुत्री का विवाह किसने किया था – प्रसेनजित

अंग महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – चंपा

वर्तमान के भागलपुर और मुंगेर जिले का क्षेत्र किस महाजनपद के अंतर्गत आता था – अंग महाजनपद

किस राजधानी को पुराणों में मालिनी की संज्ञा दी गई – चम्पा

चम्पा नरेश दधिवाहन किसका भक्त था – महावीर स्वामी

चेदि महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – शक्तिमती

शक्तिमती किस महाजनपद की राजधनी थी – चेदि

आधुनिक बुन्देलखंड क्षेत्र में कौनसा महाजनपद अवस्थित था – चेदि

वत्स महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – कौशाम्बी

कौशाम्बी किस महाजनपद की राजधानी थी – वत्स

सोलह महाजनपद में किसकी राजधानी जैन व बौद्ध धर्मों का केंद्र थी – वत्स की

वत्स महाजनपद की राजधानी कौशाम्बी किस नदी के किनारे थी – यमुना

वत्स महाजनपद के किस शासक को अवंति के शासक प्रद्योत ने बंदी बना लिया था – उदयन

उदयन किसकी पुत्री को भगा लाया था – प्रद्योत 

स्वप्नवासदत्ता की रचना किसने की – महाकवि भास

कौशाम्बी किस जैन तीर्थांकर की जन्म स्थली है – पद्मप्रभु

कुरु महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – इन्द्रप्रस्थ

इंद्रप्रस्थ किस महाजनपद की राजधानी थी – कुरु

कुरु महाजनपद का क्षेत्र वर्तमान के किन क्षेत्रों पर था – दिल्ली, मेरठ, थानेश्वर

बुद्ध के समय कोरव्य कहाँ का शासक था – कुरु

कहाँ के लोग बुद्धि और बल के लिए प्रसिद्ध थे – कुरु

सोलह महाजनपद में हस्तिनापुर नगर किस के अंतर्गत आता था – कुरु

पांचाल, मत्स्य, सूरसेन, अश्मक –

उत्तरी पांचाल की राजधानी कहाँ थी – अहिछत्र

अहिछत्र कहाँ की राजधानी थी – उत्तरी पांचाल

दक्षिणी पांचाल की राजधानी कहाँ थी – काम्पिल्य

काम्पिल्य किस महाजनपद की राजधानी थी – दक्षिणी पांचाल

पांचाल महाजनपद के अंतर्गत वर्तमान कौनसा क्षेत्र आता था – बरेली, बदायूं, फर्रुखाबाद

कान्यकुब्ज (कन्नौज) किस महाजनपद के अंतर्गत आता था – पांचाल

मत्स्य महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – विराटनगर

विराटनगर किस महाजनपद की राजधानी थी – मत्स्य

वर्तमान जयपुर के पास का क्षेत्र किस महाजनपद के अंतर्गत आता था – मत्स्य

सूरसेन महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – मथुरा

मथुरा किस महाजनपद की राजधानी थी – सूरसेन

अवन्तिपुत्र कहाँ का शासक था – सूरसेन

किस शासक के माध्यम से मथुरा में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ – अवन्तिपुत्र

अश्मक महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – पैठन/प्रतिष्ठान

दक्षिण में स्थित एकमात्र महाजनपद कौनसा था – अश्मक

कौनसा महाजनपद गोदावरी के तट पर अवस्थित था – अश्मक

उत्तरी अवंति महाजनपद की राजधानी कहां पर थी – उज्जैन

किस महाजनपद की राजधानी उज्जैन थी – उत्तरी अवंति

दक्षिणी अवंति की राजधानी कहाँ थी – महिष्मती

किस महाजनपद की राजधानी महिष्मती थी – दक्षिणी अवंति

अवंति महाजनपद की दोनो राजधानियों के बीच कौनसी नदी प्रवाहित होती थी – वेत्रवती

चण्डप्रद्योत महासेन कहाँ का शासक था – अवन्ति

कहाँ का शासक अपनी क्रूरता के लिए चण्ड कहलाया – अवन्ति

किस महाजनपद में लोहे की खानें थीं – अवन्ति

गांधार महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – तक्षशिला

किस महाजनपद की राजधानी तक्षशिला थी – गांधार

काबुल घाटी में कौनसा महाजनपद पड़ता था – गांधार

गांधार महाजनपद का दूसरा प्रमुख नगर कौनसा था – पुष्कलावती

कम्बोज महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – राजपुर या हाटक

कौनसा महाजनपद घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था – कम्बोज

कौटिल्य ने किस महाजनपद को वार्ताशास्त्रोपजीवी संघ की संज्ञा दी – कम्बोज

सोलह महाजनपद में कौनसा वर्तमान अफगानिस्तान में पड़ता था – कम्बोज

वज्जि संघ की राजधानी कहाँ थी – वैशाली

किस महाजनपद की राजधानी वैशाली थी – वज्जि

वैशाली किस नदी के तट बर बसा था – गण्डक नदी

कौनसा महाजनपद आठ जनो का संघ था – वज्जि

वज्जि संघ में सबसे प्रमुख जन कौनसा था – लिच्छवि

कौनसी नदी बज्जि संघ व मगध के बीच सीमा का निर्धारण करती थी – गंगा

मल्ल महाजनपद की राजधानी कहाँ थी – कुशीनगर व पावा

मगध के राजगृह का निर्माण किस स्थापत्यकार के निर्देशन में हुआ – महागोविन्द

महाजनपद काल से सम्बंधित प्रश्नों पर आधारित वीडिओ देखिये –

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