राजस्व अभिलेखों के अनुसार भूमि कितने प्रकार होती है।
भूमि की श्रेणियाँ और प्रकार अलग-अलग राज्यों के राजस्व अभिलेखों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, लेकिन व्यापक रूप से इन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
🏞️ राजस्व अभिलेख के अनुसार भूमि के प्रकार (श्रेणियाँ)
राजस्व अभिलेखों के अनुसार भूमि को मुख्यतः उपयोग (Usage) और अधिकार (Tenure) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
1. उपयोग के आधार पर मुख्य प्रकार
भूमि का वर्गीकरण उसके वास्तविक उपयोग के आधार पर किया जाता है। मोटे तौर पर इसके चार मुख्य प्रकार हैं:
- कृषि योग्य भूमि (Agricultural Land):
- वह भूमि जो खेती के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसमें फसलें, बागवानी आदि शामिल हैं।
- इसके उप-प्रकार भी हो सकते हैं, जैसे:
- सिंचित भूमि
- असिंचित भूमि (निर्जल सिंचित)
- परती भूमि (पुरानी या नई)
- गैर-कृषि योग्य भूमि (Non-Agricultural Land):
- वह भूमि जो कृषि कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होती और जिसका उपयोग गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- उदाहरण: आवासीय क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र, सड़कें, रेलवे, भवन, जलमग्न भूमि (नदी, नाला, तालाब), आदि।
- वन भूमि (Forest Land):
- वह भूमि जो वनों से ढकी होती है और वन उत्पादों के उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है।
- चारागाह भूमि (Pasture Land):
- वह भूमि जो पशुओं के चरने के लिए उपयोगी होती है, इसे पशुचर भूमि भी कहते हैं। इसमें वृक्षों और झाड़ियों के अंतर्गत की भूमि भी शामिल हो सकती है।
2. अधिकार के आधार पर श्रेणियाँ
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के अनुसार भूमि की श्रेणियाँ (प्रकार)
उत्तर प्रदेश में भूमि को मुख्यतः उसके भू-धारक (Tenure Holder) के अधिकार और भूमि के उपयोग (Land Use) के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
I. अधिकार/भू-धारक के आधार पर मुख्य श्रेणियाँ
ये श्रेणियाँ यह निर्धारित करती हैं कि जमीन के मालिक (भू-धारक) के पास बेचने, गिरवी रखने या हस्तांतरण करने का कितना अधिकार है।
1. श्रेणी-1: संक्रमणीय भूमिधर (Transferable Bhumidhar)
यह भूमि की सर्वोच्च श्रेणी है।
- श्रेणी-1 (क) या 11/12: यह वह भूमि है जो संक्रमणीय भूमिधरों के अधिकार में होती है। भू-धारक को भूमि पर पूर्ण मालिकाना अधिकार प्राप्त होते हैं। वह कुछ सरकारी प्रतिबंधों (जैसे, अधिकतम जोत सीमा) के अधीन रहते हुए, भूमि को बेचने, गिरवी रखने या दान करने के लिए स्वतंत्र होता है।
- श्रेणी-1 (ख): ऐसी भूमि जो गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के अंतर्गत व्यक्तियों के पास हो।
2. श्रेणी-2: असंक्रमणीय भूमिधर (Non-Transferable Bhumidhar)
- यह वह भूमि है जो असंक्रमणीय भूमिधरों के अधिकार में होती है।
- भू-धारक को खेती करने और कब्ज़ा बनाए रखने का अधिकार होता है, लेकिन वह भूमि को बेच या गिरवी नहीं रख सकता है। यह अधिकार अक्सर सरकार द्वारा पट्टे पर दी गई भूमि पर मिलता है। समय के साथ, कुछ शर्तों को पूरा करने पर यह भूमि संक्रमणीय हो सकती है।
3. श्रेणी-3: आसामी (Asami)
- यह वह भूमि होती है जो आसामियों (किरायेदारों) के अध्यासन (Occupancy) या अधिकार में हो।
- आसामियों के अधिकार सबसे सीमित होते हैं। वे मालिक नहीं होते, बल्कि एक निश्चित अवधि के लिए या विशेष उपयोग (जैसे सिंघाड़ा या कमल गट्टा की खेती) के लिए भूमि का उपयोग करते हैं।
II. उपयोग और अन्य संस्थाओं के आधार पर श्रेणियाँ
ये श्रेणियाँ अक्सर उस भूमि से संबंधित होती हैं जो किसी व्यक्ति विशेष के अधिकार में न होकर, सार्वजनिक या सरकारी उपयोग के लिए होती है।
4. श्रेणी-5: कृषि योग्य बंजर और परती भूमि
यह श्रेणी मुख्य रूप से उस भूमि से संबंधित है जो कृषि उपयोग के लिए उपलब्ध है, लेकिन जिसका उपयोग नहीं हो रहा है।
- श्रेणी 5-1: चालू परती (New Fallow): वह कृषि भूमि जिस पर एक वर्ष या उससे कम समय से खेती नहीं की गई हो।
- श्रेणी 5-2: अन्य परती (Old Fallow): वह कृषि भूमि जिस पर एक वर्ष से अधिक, लेकिन पांच वर्ष से कम समय से खेती नहीं की गई हो।
- श्रेणी 5-3 (ग): कृषि योग्य बंजर भूमि (ऐसी भूमि जो खेती योग्य हो, पर अभी उपयोग में न हो), इमारती लकड़ी के वन।
- श्रेणी 5-3 (घ): स्थाई पशुचर भूमि (चारागाह) और अन्य चराई की भूमियाँ।
5. श्रेणी-6: ग्राम सभा और अकृषिक भूमि
यह श्रेणी वह है जो ग्राम सभा या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकरण के प्रबंधन में निहित होती है। यह सार्वजनिक उपयोग की भूमि होती है और इसे आसानी से किसी व्यक्ति को बेचा या आवंटित नहीं किया जा सकता है।
- श्रेणी 6-1: अकृषिक भूमि (जलमग्न): जलमग्न भूमि जैसे नदियाँ, नाले, झीलें, तालाब (Water Bodies)।
- श्रेणी 6-2: अकृषिक भूमि (स्थल, मार्ग): स्थल, सड़कें, रेलवे, सार्वजनिक भवन, कब्रिस्तान, श्मशान घाट और ऐसी दूसरी भूमियाँ जो कृषि उपयोग में नहीं लाई जाती हैं।
- श्रेणी 6-3: नवीन परती/ग्राम समाज की भूमि: वह भूमि जो गाँव सभा के नियंत्रण में होती है और जिसका उपयोग सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
संक्षिप्त निष्कर्ष
जब आप किसी ज़मीन की खतौनी (राजस्व रिकॉर्ड) देखते हैं, तो उसमें भूमि के वर्ग के सामने लिखा गया कोड (जैसे: 1क, 2, 6-2) ही यह तय करता है कि वह ज़मीन किस श्रेणी की है और उस पर भू-धारक के कानूनी अधिकार क्या हैं।
| वर्ग | श्रेणी का नाम (हिंदी/अंग्रेजी) | मुख्य विवरण और अधिकार | उदाहरण |
| I. अधिकार के आधार पर श्रेणियाँ | |||
| 1. | संक्रमणीय भूमिधर (Transferable Bhumidhar) | पूर्ण मालिकाना हक़। भूमि को बेचने, गिरवी रखने या दान करने का अधिकार। | कृषि भूमि, आवासीय भूमि। |
| 2. | असंक्रमणीय भूमिधर (Non-Transferable Bhumidhar) | खेती करने का अधिकार, लेकिन बेचने का सीमित अधिकार। अक्सर सरकारी पट्टे पर दी गई भूमि। | आवंटित कृषि भूमि। |
| 3. | आसामी (Asami) | सीमित किरायेदारी/उपयोग अधिकार। भूमि के मालिक नहीं होते। | सिंघाड़े की खेती या विशेष उपयोग हेतु भूमि। |
| II. उपयोग तथा अन्य संस्थाओं के आधार पर श्रेणियाँ | |||
| 4. | कृषि योग्य बंजर/परती भूमि (Fallow/Barren) | खेती के लिए योग्य है, पर वर्तमान में उपयोग में नहीं लाई जा रही है। | पुरानी परती, नई परती भूमि। |
| 5. | वन भूमि/चारागाह भूमि (Forest/Pasture) | वन विभाग के अंतर्गत आने वाली भूमि या पशुओं के चरने के लिए नामित भूमि। | जंगल, पशुचर भूमि। |
| 6. | ग्राम सभा/सार्वजनिक भूमि (Gram Sabha/Public) | सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित भूमि। इसका प्रबंधन ग्राम सभा करती है। | सड़कें, स्कूल, खलिहान, कब्रिस्तान, तालाब, नदी। |
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक श्रेणी का विवरण और उसके उप-भागों के कोड समय-समय पर राजस्व कानूनों और शासनादेशों के तहत संशोधित हो सकते हैं।



