वाक्यांश के लिए एक शब्द

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द – विस्तृत विचारों या भावों को कम-से-कम शब्दों में व्यक्त करने के लिए हमें भाषा की शब्द-रचना का ज्ञान होना अति आवश्यक है। इसी क्रम में मूल वाक्यांश या वाक्य के शब्दों के अनुसार ही एक शब्द या पद का निर्माण किया जाता है। दूसरी बात यह कि वाक्यांश को संक्षेप में सामासिक पद का रूप दिया जाता है। कुछ ऐसे लाक्षणिक पद या शब्द भी हैं, जो अपने में पूरे एक वाक्य या वाक्यांश का अर्थ रखते हैं। नीचे दिए गए शब्द समूहों ( वाक्यखण्डों ) के संक्षिप्त शब्दरूपों को याद रखना चाहिए, तभी थोड़े में अधिक लिखने में समर्थ हो सकेंगे अर्थात ‘गागर में सागर भरना’ कहावत चरितार्थ होगी।

~ अनेक शब्दों के लिए एक शब्द ~

शब्द समूहएक शब्द
जिसके पाणि ( हाथ ) में चक्र हैचक्रपाणि ( विष्णु )
जिसके पाणि में वज्र हैवज्रपाणि ( इन्द्र )
जिसके पाणि में वीणा हैवीणापाणि ( सरस्वती )
जिसके चार भुजाएँ हैंचतुर्भुज
जिसके दस आनन हैंदशानन ( रावण )
जिसके आने की तिथि ( मालूम ) न होअतिथि
जिसके शेखर पर चन्द्र होचंद्रशेखर ( शिव )
जिसके समान द्वितीय नहीं हैअद्वितीय
जिसके पार देखा जा सकेपारदर्शक
जिसके पार देखा न जा सकेअपारदर्शक
जिसके हृदय में ममता नहीं हैनिर्मम
जिसके हृदय में दया नहीं हैनिर्दय
जानने की इच्छाजिज्ञासा
जिसकी ग्रीवा सुन्दर होसुग्रीव
जो भू को धारण करता हैभूधर
जिसके दो पद ( पैर ) हैंद्विपद
जो सर्वशक्तिसम्पन्न हैसर्वशक्तिमान
जिसके चार पद हैंचतुष्पद
जिसका कोई नाथ न होअनाथ
जिसे भय नहीं हैनिर्भीक, निर्भय
जिसे ईश्वर या वेद में विश्वास नहीं हैनास्तिक
जिसे ईश्वर या वेद में विश्वास हैआस्तिक
दो बार जन्म लेनेवालाद्विज
जिसका कोई शत्रु नहीं जनमा हैअजातशत्रु
जिसका पति ( धव ) मर गया हैविधवा
जिसका पति जीवित (साथ ) हैसधवा
जल में जन्म लेने वालाजलज
अण्डे से जन्म लेने वालाअण्डज
जिसका जन्म अनु (पीछे) हुआ होअनुज
जिसका जन्म अग्र (पहले) हुआ होअग्रज
जिसका कारण पृथ्वी है या जो पृथ्वी से सम्बद्ध हैपार्थिव
जिसका निवारण नहीं किया जा सकेअनिवार्य
साहित्य-रचना या साहित्य-सेवा से सम्बद्धसाहित्यिक
जिसकी उपमा न होअनुपम
अनुचित बात के लिए आग्रहदुराग्रह
जो कहा न जा सकेअकथनीय
जिसकी चिन्ता नहीं हो सकतीअचिन्तनीय, अचिन्त्य
यशवालायशस्वी
जो सब-कुछ जानता हैसर्वज्ञ
जो अल्प (कम) जानता हैअल्पज्ञ
जो बहुत जानता हैबहुज्ञ
जो कुछ नहीं जानता हैअज्ञ
जो अग्र (आगे) की बात सोचता हैअग्रशोची
जो नया आया हुआ होनवागन्तुक
जो भू के गर्भ (भीतर) का हाल जानता होभूगर्भवेत्ता
बिता हुआअतीत
स्वेद से उत्पन्न होनेवालास्वेदज
जो किये गए उपकारों को मानता हैकृतज्ञ
जो किये गए उपकारों को नहीं मानता हैकृतघ्न
नहीं मरनेवालाअमर
विष्णु का उपासक या विष्णु से सम्बद्धवैष्णव
शक्ति का उपासक या शक्ति से सम्बद्धशाक्त
शिव का उपासक या शिव से सम्बद्धशैव
जो अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ हैकुलीन
जो सबमें व्याप्त हैसर्वव्यापी
जो किसी की ओर (प्रति) से हैप्रतिनिधि
गिरा हुआपतित
जो बहुत बोलता हैवाचाल
इन्द्रियों को जीतनेवालाजितेन्द्रिय
अवश्य होनेवालाअवश्यम्भावी
जो स्त्री के वशीभूत या उसके स्वभाव का हैस्त्रैण
जो युद्ध में स्थिर रहता हैयुधिष्ठिर
जो कर्त्तव्य से च्युत हो गया हैकर्त्तव्यच्युत
जो क्षमा पाने लायक हैक्षम्य
जो (बात) वर्णन के अतीत (बाहर) हैवर्णनातीत
जो स्त्री सूर्य भी न देख सकेअसुर्यम्पश्या
जो अत्यन्त कष्ट से निवारित किया जा सकेदुर्निवार
(विदेश में) प्रवास करनेवालाप्रवासी
जो देखा नहीं जा सकेअद्रश्य, अलक्ष्य
जो वचन से परे होवचनातीत
जो कहा गया हैकथित
भविष्य में होनेवालाभावी
जो सरों में जनमता हैसरसिज
अतिशय या अति (बढ़ा-चढ़ाकर) उचित (कहना)अतिशयोक्ति, अत्युक्ति
जो नहीं हो सकताअसम्भव
मिष्ट या मधुर भाषण करनेवालामिष्टभाषी, मधुरभाषी
जो मुकदमा लड़ता रहता हैमुकदमेबाज
जो आमिष (मांस) नहीं खातानिरामिष
जो देने योग्य हैदेय
जो अक्षर (पढ़ाना-लिखना) जानता हैसाक्षर
जो पहरा देता हैप्रहरी
बुरा (दुर्) आग्रहदुराग्रह
जो आग्रह सत्य होसत्याग्रह
जो पर (दूसरों का) अर्थी (भला चाहनेवाला) हैपरार्थी
जो स्व (खुद) का अर्थी (भला चाहनेवाला) हैस्वार्थी
जो अल्प (कम) बोलनेवाला हैअल्पभाषी
जो मुकदमा दायर करता हैवादी, मुद्दई
जो अश्र्व (घोड़े) का आरोही (सवार) हैअस्र्वारोही
पथ का प्रदर्शन करनेवालापथप्रदर्शक
आशा से अतीत (अधिक)आशातीत
जो संगीत जानता हैसंगीतज्ञ
जो कला जानता है या कला की रचना करता हैकलाविद् , कलाकार
मित ( कम ) बोलने वालामितभाषी
जिसकी बाहुएँ दीर्घ होंदीर्घबाहु
जिसका तेज निकल गया होनिस्तेज
जो भेदा या तोड़ा न जा सकेअभेद्य
जो कठिनाई ( दुर ) से भेदा या तोड़ा जा सकेदुर्भेद्य
जिसकी आशा न की गयी होअप्रत्याशित
जो मापा न जा सकेअपरिमेय, अपरिमित
जो प्रमेय ( प्रमाण से सिद्ध ) न होअप्रमेय
जो इच्छा के अधीन हैइच्छाधीन, ऐच्छिक
जो दूसरे के स्थान पर अस्थायी रूप से काम करेस्थानापन्न
जो पीने योग्य होपेय
एक स्थान से दूसरे स्थान को हटाया हुआस्थानान्तरित
जीतने की इच्छाजिगीषा
लाभ की इच्छालिप्सा
खाने की इच्छाबुभुक्षा
मरण तकआमरण
जीवन-भरआजीवन
बिना पलक या निमिष गिरायेअपलक, एकटक, निर्निमेष
किसी काम में दूसरे से बढ़ने की इच्छा या उद्योगस्पर्द्धा
क्रम के अनुसारयथाक्रम
जो सव्य ( बायें ) हाथ से सधा हुआ हैसव्यसाची
मेघ की तरह नाद करने वालामेघनाद
जिस स्त्री को कोई सन्तान न होवन्ध्या, बाँझ
समान ( एक ही ) उदर से जन्म लेने वालासहोदर

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