मानव शरीर के प्रमुख आनुवांशिक रोग (Genetic Diseases)

आनुवांशिक रोग (Genetic Diseases) – वे रोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी अगली पीढ़ी तक पहुँच जाते हैं, आनुवांशिक रोग कहलाते हैं। मानव शरीर में कई तरह के आनुवांशिक विकार पाए जाते है, इनमें से कई बहुत घातक होते हैं। ये विकार मुख्यतः उत्परिवर्तन (Mutation) द्वारा बने दोषपूर्ण जीन (Gene) से होते हैं। अधिकतर आनुवांशिक बीमारियाँ लाइलाज होती हैं, परन्तु कुछ का इलाज संभव है। आनुवांशिक रोग आज भी शोधकर्ताओं के लिए चुनौती बनी हुए हैं।

वर्णान्धता (Colour Blindness)

इस बीमारी को डाल्टोनिज्म भी कहा जाता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति लाल और हरे रंग में फर्क नहीं कर पाता। इस रोग से मुख्यतः पुरुष प्रभावित होते हैं। क्योंकि स्त्रियां सिर्फ वाहक का कार्य करती हैं। स्त्रियों में यह रोग तभी होता है जब उनके दोनों XX गुणसूत्र प्रभावित हों। स्त्री के यदि एक X गुणसूत्र पर वर्णान्धता के जीन हों तो वे इससे प्रभावित नहीं होंगी, सिर्फ वाहक का कार्य करेंगी। परन्तु पुरुषों का सिर्फ X गुणसूत्र इससे प्रभावित हो तो वे वर्णान्ध होंगे।

हीमोफीलिया

इस रोग में स्त्रियां वाहक की भूमिका निभाती हैं। रक्त में कुछ प्रोटीन की कमी के कारण रक्त का थक्का नहीं बनता। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति का हाथ कटने पर रक्त का थक्का नहीं बनता और अधिक समय तक खून बहता ही रहता है। शीघ्र उपचार न मिलने पर अंत में रोगी की मृत्यु हो जाती है।

टर्नर सिंड्रोम –

अर्धसूत्री विभाजन में अनियमितता के कारण यह रोग होता है।

क्लिनेफ़ेल्टर सिंड्रोम

यह रोग भी अर्धसूत्री विभाजन में अनियमितता के कारण ही होता है। इसमें जाइगोट में गुणसूत्रों की संख्या सामान्य से अधिक (47) हो जाती है। ऐसे जाइगोट से उत्पन्न पुरुषों में स्त्रियों वाले लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। इसमें पुरुषों का बृषण अल्पविकसित और स्तन स्त्रियों के सामान विकसित हो जाते हैं। ऐसे पुरुष नपुंसक होते हैं।

पटाऊ सिंड्रोम

इसमें रोगी का ऊपर का होंठ बीच में से कट जाता है और तालु में दरार हो जाती है। इस रोग से प्रभावित व्यक्ति मंद बुद्धि और नेत्र रोगों से ग्रसित होता है।

डाउन्स सिंड्रोम या मांगोलिज्म

यह रोग भी अर्धसूत्री विभाजन में अनियमितता के कारण ही होता है। अर्धसूत्री विभाजन में आटोसोम का बंटवारा सही प्रकार से नहीं हो पाने के कारण बने जाइगोट में गुणसूत्रों की स्थिति असामान्य हो जाती है। इस तरह जाइगोट से निर्मित भ्रूण की कुछ समय बाद ही मृत्यु हो जाती है। यदि जीवित रह भी जाए तो मंद बुद्धि, टेढ़ी आँखें, मोती जीभ और नियमित शारीरिक ढाँचे वाला होगा।

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