भारत में लौह इस्पात उद्योग (Indian Steel Industry) – लौह इस्पात उद्योग विश्व में अन्य सभी उद्योगों की जननी है। भारत में लौह इस्पात उद्योग का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। भारत में इसकी शुरुवात 19 वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में हुयी। वर्तमान में भारत विश्व का चौथा इस्पात उत्पादक देश है।
भारत में देश का पहला लौह उद्योग कारखाना 1874 ईo में कुल्टी (आसनसोल, पश्चिम बंगाल) में बंगाल आयरन वर्क्स (BIW) के नाम से स्थापित किया गया। बाद में फण्ड के भाव में यह कंपनी बंद हो गयी और बंगाल सरकार ने इसका अधिकरण कर लिया। इसके बाद इसका नाम बदलकर बराकर आयरन वर्क्स कर दिया गया।
लौह इस्पात कारखाना
बड़े पैमाने पर देश का पहला कारखाना 1907 ईo में जमशेदजी टाटा द्वारा बिहार के साकची नामक स्थान पर स्थापित किया गया।
भारतीय लौह इस्पात कारखाना –
इसकी स्थापना 1918 ईo में प. बंगाल के हीरापुर नामक स्थान पर की गयी। सन् 1922 ईo में यहाँ पर उत्पादन शुरू हुआ। बाद में कुल्टी, हीरापुर, बर्नपुर स्थित संयंत्रों को भी इसी में मिला दिया गया।
मैसूर आयरन एण्ड स्टील वर्क्स –
इसकी स्थापना 1923 ईo में कर्नाटक के भद्रावती नामक स्थान पर की गयी। अब इसे विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील कंपनी लिमिटेड (VISCL) के नाम से जाना जाता है।
स्टील कॉर्पोरेशन ऑफ़ बंगाल –
इसकी स्थापना 1937 ईo में बर्नपुर (प. बंगाल) में की गयी थी। 1953 ईo में इसे भारतीय लौह-इस्पात कंपनी में मिला दिया गया।
भिलाई इस्पात संयंत्र –
इसकी स्थापना 1955 ईo में सोवियत संघ की मदद से दुर्ग जिले के भिलाई में की गयी। तब यह मध्य प्रदेश में पड़ता था, अब छत्तीसगढ़ में है।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, राउलकेला –
पश्चिमी जर्मनी की सहायता से 1955 ईo में इसकी स्थापना राउलकेला (ओडिशा) में की गयी थी।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, दुर्गापुर –
1956 ईo में इसकी स्थापना ब्रिटेन की सहायता से प. बंगाल के दुर्गापुर में की गयी थी।
बोकारो स्टील प्लांट –
इसकी स्थापना 1968 ईo में सोवियत संघ की मदद से बोकारो में की गयी थी। तब यह बिहार में अवस्थित था, अब झारखण्ड में अवस्थित है।
स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (SAIL) –
24 जनवरी 1973 ईo को भिलाई, राउलकेला, बर्नपुर, सलेम, बोकारो, दुर्गापुर, विश्वेश्वरैया आयरन एन्ड स्टील कंपनी लिमिटेड को एक कर SAIL की स्थापना की गयी।