सौर मण्डल (Solar System) : सूर्य, ग्रह एवं उपग्रह की जानकारी

सौर मण्डल : सूर्य, ग्रह एवं उपग्रह की जानकारी ( Information about Solar System : Sun, Planet & Satellite )

सूर्य और उसके चारों ओर घूमने वाले ग्रह, उपग्रह, धूमकेतू, उल्का पिण्ड एवं क्षुद्रग्रह मिलकर सौर मण्डल कहलाते हैं। सौर मण्डल को सौर परिवार भी कहते हैं और यह ब्रह्माण्ड का भाग है. सौरमंडल का जन्मदाता सूर्य है जो एक तारा है और पूरे सौरमंडल को ऊर्जा एवं प्रकाश प्रदान करता है। सूर्य की ऊर्जा का श्रोत उसके केन्द्र में होने वाला नाभिकीय संलयन है। नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया में हाइड्रोजन परमाणु, हीलियम परमाणु में बदलते हैं. सूर्य सौर परिवार का मुखिया है।

सूर्य ( Sun )

सूर्य एक तारा है और सौरमंडल का प्रधान है। यह हमारी आकाशगंगा दुग्धमेखला के केंद्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है। सूर्य का जो भाग हमें दिखाई देता है, उसे प्रकाशमंडल ( Photo sphere ) कहते हैं। सूर्यग्रहण के समय दिखायी देने वाला सूर्य का वाह्यतम भाग  सूर्य-किरीट  ( Corona ) कहलाता है. कभी-कभी सूर्य के प्रकाशमंडल से परमाणुओं का तूफ़ान इतनी तेजी से उठता है कि सूर्य की आकर्षण शक्ति को पार करके अन्तरिक्ष में चला जाता है; जिसे सौर ज्वाला ( Solar Flares ) कहते हैं। जब यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं तो हवा के कणों से टकराकर रंगीन प्रकाश ( Aurora Light ) उत्पन्न होता है, जिसे उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों पर देखा जा सकता है। उत्तरी ध्रुव पर इसे ‘अरौरा बोरियालिस’ तथा दक्षिणी ध्रुव पर ‘अरौरा ऑस्ट्रेलिस’ कहते है। जहाँ से सौर ज्वाला निकलती है वहाँ काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं। जिन्हें सौर-कलंक ( Sun Spots ) कहते हैं। ये शेष सूर्य से अपेक्षाकृत ठंडे होते हैं, इनका तापमान लगभग 1500 °C होता है। यह प्रबल चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित करता है, जो पृथ्वी की बेतार व्यवस्था को बाधित कर सकता है। सौर-कलंक के बनने-बिगड़ने की प्रक्रिया औसतन 11 वर्षों में पूरी होती है, जिसे सौर-कलंक चक्र ( Sunspot-Cycle ) कहते हैं। सूर्य के कोरोना व उससे होने वाले उत्सर्जन से सम्बन्धित रहस्यों को सुलझानें के प्रयास में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन ( ISRO ) ने आदित्य नामक उपग्रह का विकास किया है।

सूर्य ( Sun ) से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य ( Important Facts ) –

  • सूर्य दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों ओर 250 किमी./से. की गति से परिक्रमा कर रहा है। इसका परिक्रमण काल 25 करोड़ वर्ष है। सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक घूर्णन करता है।
  • सूर्य द्वारा दुग्धमेखला के केन्द्र के चारों ओर घूमने में लगा समय 25 करोड़ ( 250 मिलियन ) वर्ष को ब्रह्माण्ड वर्ष ( Cosmos Year ) कहते है।
  • सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड का समय लेता है।
  • सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है। भविष्य में सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय 1011 वर्ष है।
  • सूर्य का व्यास लगभग 13 लाख 92 हजार किमी. है, जोकि पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है।
  • सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवां भाग मिलता है।

ग्रह ( Planet )

ग्रह, सूर्य से निकले ही पिण्ड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इनका अपना कोई प्रकाश नहीं होता है ये सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं तथा ऊष्मा प्राप्त करते हैं। सौर मण्डल में कुल आठ ग्रह हैं – 1. बुध ( Mercury ) 2. शुक्र ( Venus ) 3. पृथ्वी ( Earth ) 4. मंगल ( Mars ) 5. बृहस्पति ( Jupiter ) 6. शनि ( Saturn ) 7. अरुण ( Uranus ) 8. वरुण ( Neptune )

ग्रहों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य ( Important Facts ) –

  • शुक्र व अरुण को छोड़कर अन्य सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा पश्चिम से पूर्व दिशा में करते हैं। जबकि शुक्र व अरुण सूर्य की परिक्रमा पूर्व से पश्चिम दिशा में करते है।
  • बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल आन्तरिक ग्रहों के अन्तर्गत आते हैं जोकि भारी पदार्थों से बने हैं, जबकि बृहस्पति, शनि, अरुण व वरुण बाह्य ग्रहों में आते हैं जोकि हल्के पदार्थों से बने हैं।
  • बृहस्पति, शनि, अरुण व वरुण को आकार में बड़े होने के कारण इन्हें ग्रेट प्लेनेट्स ( Great Planets ) भी कहा जाता है।
  • सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है।

पृथ्वी

पृथ्वी  सौर मण्डल का 5वां सबसे बड़ा गृह है। जल की उपस्थि के कारण इसे नीला गृह एवं पेड़ पौधों, घास  व वनस्पति की उपस्थि के कारण  इसे हरा ग्रह कहा जाता है।  यह सौर मण्डल का एकमात्र गृह है जिस पर जीवन है।

  • इसका ध्रुवीय व्यास 12714 किलो मीटर और विषुवतीय व्यास 12756 किलो मीटर है।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर सूर्य के सम्मुख 23 1/2 अंश पर झुकी हुयी है।
  • सूर्य के बाद पृथ्वी का निकटतम तारा प्रक्सिमा सेंचुरी है जो कि पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।
  • आकर व बनाबट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के सामान है।
  • पृथ्वी पर दिन रात इसकी अक्षीय गति ( परिभ्रमण ) के कारण और ऋतु परिवर्तन इसकी सूर्य के परितः वृत्तीय गति ( परिक्रमण ) के कारण  होते हैं।
  • यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी./घण्टे की गति से घूमती है और 23 घंटे, 56 मिनट, 4 सेकण्ड में एक चक्कर पूरा कर लेती है। इसी गति से दिन व रात होते हैं।
  • पृथ्वी सूर्य का परिक्रमा लगाने में 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 46 सेकण्ड लगाती है जिसे 1 वर्ष कहते हैं।

बुध ग्रह –

  • यह सूर्य के सबसे पास का गृह है। ( सूर्य के सबसे करीब होने के बाबजूद भी यह सौर मण्डल का सबसे गर्म गृह नहीं है। )
  • यह सौर मण्डल का सबसे छोटा गृह है और इसके पास अपना कोई उपग्रह नहीं है, परन्तु इसका अपना चुम्बकीय क्षेत्र है।
  • सूर्य के सबसे निकट होने के कारण यह सूर्य की परिक्रमा सबसे काम समय में कर लेता है।

शुक्र ग्रह –

  • इसके पास भी अपना कोई उपग्रह नहीं है
  • यह सबसे चमकीला व सबसे गर्म गृह है।
  • इसके सर्वाधिक गर्म होने का कारण सूर्य के सबसे नजदीक होना और इसका घनत्व है।
  • इसे साँझ का तारा या भोर का तारा भी कहा जाता है।
  • यह पृथ्वी का निकटतम गृह है।
  • यह घनत्व, आकार और व्यास में पृथ्वी से काफी समानता रखता है इसलिए इसे पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है।

मंगल ग्रह –

  • आयरन ऑक्साइड के कारण इसका रंग लाल होने के कारण इस गृह को लाल गृह भी कहा जाता है।
  • इसके दिन का मान व अक्ष का झुकाव पृथ्वी के सामान है, यह 24 घंटो में अपना परिभ्रमण पूरा करता है और यहाँ ऋतु परिवर्तन भी होता है।
  • सूर्य की परिक्रमा करने में इसको 687 दिन लगते हैं।
  • सौर मण्डल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया ( माउंट एवरेस्ट से तीन गुना ऊँचा ) और सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी इसी पर स्थित है।
  • यह सूर्य का निकटतम गृह है जिसके 2 उपग्रह (फोबोस व डीमोस) भी हैं।

बृहस्पति ग्रह –

  • यह सौर मण्डल का सबसे बड़ा गृह है। यह पीले रंग का गृह है।
  • इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटे ( सबसे कम समय ) लगते है और सूर्य का एक चक्कर लगाने 12 वर्षों का समय लगता है।
  • इसके सर्वाधिक ( 63 ) उपग्रह हैं जिनमे सबसे बड़ा गैनिमीड है।

शनि ग्रह –

  • यह आकाश में पीले रंग के तारे के समान नजर आता है।
  • यह सौर मण्डल का दूसरा सबसे बड़ा गृह है।
  • इसकी विशेषता इसके चारो ओर एक वलय का होना है।
  • इसके उपग्रहों की संख्या 60 है जिनमें फीबे नाम का उपग्रह इसके अन्य उपग्रहों के संचरण के विपरीत दिशा में घूमता है।
  • इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो आकार में बुध के बराबर है।

अरुण ग्रह

  • इसकी खोज 1781 में विलियम हर्शेल द्वारा की गयी थी, यह सौरमण्डल का तीसरा सबसे बड़ा गृह है।
  • इसके चारो ओर 9 वलय हैं।
  • अन्य ग्रहों के विरुद्ध यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है जिसके कारण यहाँ सूर्योदय पश्चिम में और सूर्यास्त पूर्व में होता है।
  • इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि यह अपनी धुरी पर इतना झुका हुआ है की लेटा हुआ सा प्रतीत होता है।
  • इसके 27 उपग्रह हैं जिनमे सबसे बड़ा टाइटेनिया है।

वरुण ग्रह

  • यह सूर्य से सबसे दूर स्थित गृह है।
  • इसकी खोज 1846 में जर्मन खगोलशास्त्री जहान गाले द्वारा की गयी।
  • इसे हरे रंग का ग्रह कहा जाता है।
  • इसके चारो तरफ मेथेन का अति शीतल बदल छाया रहने के कारण यह अति शीतल ग्रह है।
  • इसके कुल 13 उपग्रह हैं जिनमे सबसे बड़ा ट्रिटॉन है।

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