प्रथम विश्व युद्ध ( World War First ) – प्रथम विश्व युद्ध ( World War I ) की शुरुवात 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण करने के बाद हुई। इसमें कुल 37 देशों ने भाग लिया। यह युद्ध कुल चार वर्षों तक चलने के बाद 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ।
युद्ध में शामिल होने वाले देशों का क्रम –
- जर्मनी ने 1 अगस्त 1914 को रुस पर और 3 अगस्त 1914 को फ्रांस पर आक्रमण कर दिया।
- इसके बाद 8 अगस्त 1914 को इंग्लैंड प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ।
- 26 अप्रैल 1915 को इटली प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ।
- 6 अप्रैल 1917 को अमेरिका प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ। क्योंकि जर्मनी के यू-बोट द्वारा इंग्लैंड के लूसीतानिया नामक जहाज को डुबो दिया गया था। इस जहाज में मरने वाले 1153 लोगों में 128 व्याक्ति अमेरिका के थे।
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण –
विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डीनेंड की बोस्निया की राजधानी सेराजेवों में हत्या होना था।
विश्व युद्ध के दो गुट –
इस युद्ध में संपूर्ण देश दो गुटों मित्रराष्ट्र और धुरीराष्ट्र में बंट गए। साल 1882 में इटली, जर्मनी औऱ ऑस्ट्रिया के बीच त्रिगुट का निर्माण हुआ। धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी कर रहा था। इसमें इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और हंगरी शामिल थे। मित्रराष्ट्रों में इंग्लैंड, जापान, अमेरिका, रुस व फ्रांस शामिल थे।
अन्य घटनाएं –
- साल 1905 में जापान औऱ रूस के बीच युद्ध का अंत अमेरिका राष्ट्रपति रुजवेल्ट की मध्यस्थता के बाद हुआ।
- वर्ष 1906 में मोरक्को संकट पैदा हो गया।
- इस युद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति वुडरो विल्सन था।
यूद्ध समाप्ति के बाद की स्थिति –
11 नवंबर 1918 को युद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस में एक शांति सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस शांति सम्मेलन में कुल 27 देशों ने भाग लिया। परंतु शांति संधियों की शर्तें केवल तीन देश- ब्रिटेन, फ्रांस औऱ अमेरिका ही तय कर रहे थे। इस शांत सम्मेलन की शर्तों को निर्धारित करने में जिन राष्ट्राध्यक्षों की भूमिका थी वे निम्नलिखित हैं – वुडरो विल्सन ( अमेरिकी राष्ट्रपति ), लॉयड जॉर्ज ( ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ), औऱ जॉर्ज क्लेमेसो ( फ्रांस के प्रधानमंत्री )।
वर्साय की संधि –
28 जून 1919 को वर्साय की संधि जर्मनी के साथ हुई। इस संधि में जर्मनी को युद्ध का दोषी ठहराया गया और तमाम तरह से उस पर दबाव बनाया गया। जर्मनी से युद्ध हरजाने के रूप में 6 अरब 50 करोड़ पौंड की धनराशि मांगी गई। यह एकतरफा संधि थी जिसपर हस्ताक्षर करने के लिए जर्मनी को मजबूर किया गया। जर्मन राष्ट्रवादी इस संधि के बाद स्वयं को अपमानित महसूस करने लगे, इसी दोषपूर्ण संधि से अगले भयानक युद्ध का बीजारोपण हुआ। जिसका खामियाजा विश्व को द्वितीय विश्व युद्ध के रूप में भुगतना पड़ा।
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